Friday, April 26, 2024
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मुंबई सेशंस कोर्ट ने इन आधारों पर खारिज की आर्यन खान की जमानत याचिका, सामने आई ऑर्डर की कॉपी

मुंबई ड्रग्स केस में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए सेशंस कोर्ट ने अपने फैसले में एनसीबी द्वारा की गई शुरुआती जांच को अपने फैसले का आधार बनाया है।

India TV Entertainment Desk Written by: India TV Entertainment Desk
Updated on: October 20, 2021 19:04 IST
Aryan Khan- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/ARYAN KHAN मुंबई सेशंस कोर्ट ने इन आधारों पर खारिज की आर्यन खान को जमानत याचिका, सामने आई ऑर्डर की कॉपी 

मुंबई ड्रग्स केस में आर्यन खान की जमानत की अर्जी मुंबई के सेशंस कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है। जमानत याचिका पर 5 सुनवाइयों में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सेशंस कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए आर्यन खान को राहत नहीं दी और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। आर्यन खान को फिलहाल आर्थर रोड जेल में ही रहना होगा, आर्यन के अलावा मुनमुन धनेचा और अरबाज मर्चेंट की जमानत याचिका भी खारिज हो गई है।

कोर्ट की तरफ से दिए गए ऑर्डर की कॉपी सामने आ गई है। कोर्ट ने किन आधारों पर अपना फैसला सुनाते हुए आर्यन खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है इसका जिक्र ऑर्डर की कॉपी में किया गया है।  

अवैध ड्रग्स गतिविधियों में शामिल हैं आरोपी

कोर्ट के ऑर्डर में यह बताया गया है कि व्हाट्सएप चैट की शुरुआती जांच में यह पता चलता है कि आरोपी नंबर 1 (आर्यन खान) नियमित आधार पर मादक पदार्थों की अवैध ड्रग्स गतिविधियों में शामिल है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी नं. 1 जमानत पर रहते हुए इस तरह के अपराध में लिप्त नहीं होगा।

जस्टिस पाटिल ने किया एनडीपीएस एक्ट 29 का जिक्र

अपने फैसले में न्यायाधीश वीवी पाटिल ने कहा, "इस प्रकार के गंभीर अपराध में आरोपियों - आर्यन अरबाज और मुनमुन की शुरुआती जांच में संलिप्तता को देखते हुए, जमानत नहीं दी जा सकती है। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्रियों की शुरुआती जांच यह बताती है कि यहां एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 लागू होगी। इसलिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 की कठोरता भी लागू होगी। लिहाजा इस स्तर पर पहुंचना संभव नहीं है कि आवेदकों ने एनडीपीएस के तहत कोई अपराध नहीं किया है।"

जमानत याचिका खारिज करने के पीछे क्या था कोर्च का निष्कर्ष

जमानत याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी इस तरह के अपराध के दोषी नहीं हैं और उनके द्वारा आगे इस तरह के अपराध करने की संभावना नहीं है। अपराधों के इन सभी सभी कारणों और आगे अपराध किए जाने की संभावनाओं के मद्देनजर आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की जाती है।

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