नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया गया है। इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया। भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान इतना बौखला गया कि उसने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल हमला कर दिया।
हालांकि पाकिस्तान की हर मिसाइल को भारत ने बेअसर कर दिया। भारत की इस सफलता के पीछे भारत की एयर डिफेंस क्षमताओं का सबसे बड़ा हाथ है। जिन्हें बीते 11 साल में मोदी सरकार में काफी मजबूत किया गया है। इसी के साथ मौजूदा दौर में पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली का खोखलापन भी उजागर हो गया। ऑपरेशन सिंदूर ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत न केवल अपने आसमान की रक्षा करने में सक्षम है बल्कि अब वह उन्हें नियंत्रित भी करता है।
भारत की मजबूती क्या है?
मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली, बराक-8 मिसाइलें, आकाश- सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और डीआरडीओ की एंटीड्रोन तकनीकें मिलकर एक हवाई कवच तैयार करती हैं जो मज़बूती से टिका रहता है।
भारत केवल बचाव तक सीमित नहीं रहा बल्कि उसने जवाबी कार्रवाई भी की है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी क्षेत्र में बहुत अंदर तक हमला किया और लाहौर में चीन द्वारा आपूर्ति की गई HQ-9 वायु रक्षा इकाई को नष्ट कर दिया और प्रमुख रडार के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया।

2014 से एयर डिफेंस को मजबूत कर रही मोदी सरकार
आज पाकिस्तान को भारत जो मुंहतोड़ जवाब दे रहा है, इसकी तैयारी कुछ दिनों में नहीं हुई है बल्कि इसमें सालों लगे हैं। साल 2014 से मोदी सरकार ने भारत की एयर डिफेंस संरचना को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया है। इसके कई डेवलपमेंट किए गए हैं, जिसमें कुछ निम्न हैं-
- 5 एस-400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का सौदा 2018 में हस्ताक्षरित किया गया था, जिसमें से तीन स्क्वाड्रन अब चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर काम कर रहे हैं।
- बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआर-एसएएम) की तैनाती, 2017 में इजरायल के साथ 2.5 बिलियन डॉलर का सौदा हुआ, जो अब भटिंडा जैसे आगे की पंक्ति के ठिकानों की सक्रिय रूप से सुरक्षा कर रहा है।
- स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरियां और डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम।
- 2024 में शत्रुतापूर्ण यूएवी को जाम करने और निष्क्रिय करने के लिए मैन पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम (एमपीसीडीएस) स्थापित किया गया।
टेक्नालॉजी ने भी निभाई अहम भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर में 2021 में ऑर्डर किए गए आत्मघाती ड्रोनों का भी इस्तेमाल किया गया, जिन्हें भारत में ही बनाया गया। इन ड्रोनों ने विभिन्न सेक्टरों में एक साथ, सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा दिखा दिया गया।
इसके अलावा, कराची और लाहौर में हवाई रक्षा संपत्तियों को निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए इजरायली मूल के हारोप ड्रोन-जो अब स्थानीय रूप से निर्मित हैं- तैनात किए गए थे।
इन प्लेटफार्मों ने, SCALP और HAMMER मिसाइलों से लैस राफेल लड़ाकू विमानों की रणनीतिक तैनाती के साथ मिलकर सर्जिकल सटीकता के साथ शक्ति प्रक्षेपण करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया। गौरतलब के रक्षा मामलों में मोदी सरकार काफी गंभीरता से काम करती रही है और उसी का परिणाम है कि आज हम पाकिस्तान के ऊपर भारी पड़ रहे हैं। इसके अलावा भारत आज टेक्नालॉजी से संचालित हवाई क्षेत्र रक्षा नेटवर्क संचालित करता है जो खतरों का पता लगाने, उन्हें रोकने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।