Saturday, April 27, 2024
Advertisement

Loksabha Election 2024: "किसी पद या पार्टी के गुलाम नहीं", कौन हैं रविंद्र सिंह भाटी, जिनके नाम पर हर तरफ है चर्चा

शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक Ravindra Singh Bhati अब लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। 4 अप्रैल को रविंद्र सिंह भाटी ने नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनकी रैली में हजारों की संख्या में लोग शामिल होने के लिए पहुंचे।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Updated on: April 12, 2024 17:35 IST
Loksabha Election 2024 Story of Ravindra Singh Bhati independent candidate from barmer jaisalmer- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV कौन हैं रविंद्र सिंह भाटी, लड़ रहे हैं लोकसभा चुनाव

द्वंद्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए। तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए। एक जवान लड़का है, जिसपर यह कविता सटीक बैठती है। उम्र है मात्र 26 साल, जो पहले तो राजस्थान की शिव विधानसभा सीट से विधायक बना और अब वह लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहा है। छात्रसंघ से राजनीति की शुरुआत करने वाले इस जवान लड़के को उसके खास लोग रावसा कहते हैं। तो देशभर में उसे रविंद्र सिंह भाटी के नाम से जाना जाता है। दिल्ली जाने से पहले रविंद्र ने पूरी दिल्ली को बाड़मेर-जैसलमेर में ला पटका है। रविंद्र सिंह भाटी ने छात्रसंघ के दिनों में एक भाषण दिया था। उसमें रविंद्र ने कहा था, 'दिखाओं अईयारा कि कोई पद रा या कोई पार्टी रा गुलाम कोनी हा, राजपूत हा, एक तरफ छाती ठोकां।' इंटरनेट पर रविंद्र के इन शब्दों पर खूब रील्स बन रहे हैं। रविंद्र की नामांकन रैली में हजारों लोग पहुंचते हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म रविंद्र सिंह भाटी के पोस्ट से भरे पड़े हैं। ऐसे में ये जानना तो बनता है कि आखिर रविंद्र सिंह भाटी कौन हैं, जिन्होंने भाजपा और कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है?

Related Stories

रविंद्र सिंह भाटी का शुरुआती जीवन

बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा के दूधोड़ा गांव के रहने वाले रविंद्र के पिता शिक्षक हैं। रविंद्र सामान्य परिवार से आते हैं। राजनीति से इनके परिवार का कोई वास्ता नहीं है। शुरुआती पढ़ाई रविंद्र ने गांव के ही सरकारी स्कूल में की। इसके बाद रविंद्र बढ़ चले जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी की ओर। यहां से शुरू होती है रविंद्र के छात्र राजनीति की शुरुआत। रविंद्र सिंह भाटी शुरुआती दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता थे। करीब 3 साल तक। इस दौरान रविंद्र ने वकालत की पढ़ाई की। साल 2019 में उन्होंने छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ठोकी। ABVP ने उन्हें संगठन की तरफ से टिकट नहीं दिया। रविंद्र ने ABVP से बगावत की और अकेले दम पर निर्दलीय चुनाव लड़े। रविंद्र जीत गए। रविंद्र ने यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास को पलट दिया। इतिहास में पहली बार हुआ जब यूनिवर्सिटी में किसी निर्दलीय छात्र ने अध्यक्ष के पद पर कब्जा किया। एबीवीपी से बगावत करने के बाद ही रविंद्र ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि इन लोगों को दिखा दो कि कोई पद या पार्टी के गुलाम नहीं हैं, राजपूत हैं।

छात्रों के लिए रविंद्र ने बुलंद की आवाज

रविंद्र छात्रों के लिए अवाज बनते रहे। समय-समय पर आंदोलन किया। थानों का घेराव करना हो या विधानसभा का, छात्रों के लिए रविंद्र मरने और मारने तक को तैयार थे। युवाओं को रविंद्र में अपना नेता दिख रहा था, जो उनकी आवाज को सदन में उठाने की हिम्मत रखता है। सिलसिला आगे बढ़ता है, समय बदलता है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव होने जा रहे थे। रविंद्र ने शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायकी के चुनाव में लड़ने की योजना बनाई। विधानसभा चुनावों से पहले शिव विधानसभा से टिकट मिलने की आस में रविंद्र ने भाजपा ज्वाइन कर ली। लेकिन जब उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो शिव विधानसभा से भाजपा ने स्वरूप सिंह खारा को अपना उम्मीदवार बना दिया। रविंद्र को टिकट नहीं मिला। एक बार फिर रविंद्र ने बगावत कर दी। रविंद्र भाजपा से अलग हो गए और निर्दलीय ही चुनावी मैदान में कूद पड़े। चुनाव का रिजल्ट आया, रविंद्र ने इतिहास रच दिया। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवारों के हराकर 26 साल का ये लड़का विधानसभा पहुंचता है। रविंद्र ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे और कांग्रेस के दिग्गज और धुरंधर नेता कहे जाने वाले अमीन खान को हराया था। यह कम उम्र का लड़का अब विधायक बन गया था। भाजपा के उम्मीदवार स्वरूप सिंह खारा की तो जमानत तक जब्त हो गई।

लोकसभा चुनाव में रविंद्र ने ठोका ताल

अब साल आ गया 2024 का। समय फिर करवट बदलता है। रविंद्र के विधायक बनने के कुछ ही महीनों बाद देश में लोकसभा चुनाव की घंटी बज जाती है। रविंद्र ने फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया, बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से। अब रविंद्र विधानसभा में नहीं, बल्कि दिल्ली की लोकसभा में टेबल पर हाथ मारने को तैयार थे। 4 अप्रैल को रविंद्र ने अपना नामांकन भरा। नामांकन रैली में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। जब वीडियो और तस्वीरें सामने आईं तो रविंद्र सिंह भाटी चर्चा में आ गए। 26 साल के युवक के पीछे हजारों की भीड़ ने रविंद्र को लाइम लाइट में ला दिया। रविंद्र के पीछे उमड़े इसी जनसैलाब को देखकर अच्छे-अच्छे लोग अब हैरान परेशान हैं। 

रविंद्र ने अपने एक बयान में कहा था कि ये वही रविंद्र है जिसके कारण दिल्ली और जयपुर बाड़मेर आकर बैठी है। इसका संदर्भ है कि राजस्थान में राजनीति का केंद्र जयपुर है। वहीं देश की राजनीति का केंद्र दिल्ली है। बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और कांग्रेस की तरफ से कई बड़े नेता लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन रविंद्र सिंह भाटी अकेले दम पर ताल ठोक रहे हैं। रविंद्र को सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कोई सा भी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म हो, रविंद्र के भाषण और वीडियो से भरी पड़ी है। अब देखना ये है कि क्या रविंद्र लोकसभा चुनाव जीतेंगे? परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन एक बात तो तय है कि बाड़मेर-जैसलमेर की सीट चर्चा का केंद्र बन चुकी है।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement