डिजिटल डिटॉक्स यानी हर समय स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट और सोशल मीडिया वाले गैजेट्स के यूज से खुद को बचाना ताकि आप रियल वर्ल्ड यानी वास्तविक दुनिया से जुड़ सकें। ये आज के समय में मानसिक शांति और बेहतर फोकस के लिए बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि लगातार गैजेट्स के यूज से कई बार कुछ तरह के मानसिक तनाव हो सकते हैं। उदाहरण के लिए सोशल मीडिया पर दूसरों के साथ तुलना करने पर FOMO (Fear of Missing Out) या एंग्जाएटी जैसे डर बन सकते हैं। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद के साइकिल को डिस्टर्ब करती है और फोकस करने में दिक्कत जैसे मानसिक परेशानियों से लेकर गर्दन-कंधों में दर्द से लेकर आंखें कमजोर होना जैसी शारीरिक दिक्कतें भी हो सकती हैं।
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डिजिटल डिटॉक्स का मतलब तकनीक को पूरी तरह छोड़ना नहीं बल्कि इसके साथ एक स्वस्थ बैलेंस बनाना है। यहां कुछ प्रैक्टिकल तरीके दिए गए हैं जिनसे आप डिजिटल डिटॉक्स शुरू कर सकते हैं। जैसे कि छोटे कदमों से शुरुआत करें। एकदम से सब कुछ बंद करने के बजाय धीरे-धीरे बदलाव लाएं। उदाहरण के लिए उन सभी ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें जो जरूरी नहीं हैं। हर बार फोन का 'टिंग' बजना आपका ध्यान भटकाता है। साथ ही अपने फोन की सेटिंग्स में देखें कि आप कौन से ऐप पर कितना समय बिता रहे हैं।
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अपने घर और दिनचर्या में कुछ लिमिटेशन्स बनाएं जैसे कि बेडरूम में फोन ना यूज करें जैसे कि सोने से 1 घंटा पहले और उठने के 1 घंटा बाद तक फोन का इस्तेमाल न करें और खाना खाते समय फोन को दूसरे कमरे में रखें। इससे आप खाने का आनंद ले पाएंगे और अपनों से बात कर पाएंगे। अलार्म क्लॉक का यूज करें और फोन को अलार्म के लिए इस्तेमाल न करें, ताकि उठते ही सबसे पहले आप सोशल मीडिया न चेक करें।
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सोशल मीडिया ऐप्स को होम स्क्रीन से हटाकर किसी फोल्डर के अंदर डाल दें ताकि उन्हें खोलना ईजी ना रहे और जिन ऐप्स का उपयोग आप हफ्तों से नहीं कर रहे, उन्हें डिलीट कर दें। जब हम बोर होते हैं तो हाथ अपने आप फोन की तरफ जाता है। इस 'खालीपन' को भरने के लिए फोन के बजाय हाथ में एक फिजिकल किताब रखें। पेंटिंग, डायरी लिखना, कुकिंग या गार्डनिंग जैसे काम करें। बिना फोन के पार्क में टहलने जाएं।
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आप डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज ले सकते हैं जैसे कि 24 घंटे का ब्रेक यानी हफ्ते में एक दिन जैसे रविवार के लिए तय करें जब आप सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहेंगे। ग्रेस्केल मोड अपना सकते हैं यानी अपने फोन की स्क्रीन को 'Grayscale' (ब्लैक एंड व्हाइट) कर दें। रंग न होने की वजह से ऐप्स कम आकर्षक लगते हैं और आप फोन पर कम समय बिताते हैं। याद रखें कि डिजिटल डिटॉक्स का मकसद टेक्नीक को सजा बनाना नहीं है बल्कि खुद को यह याद दिलाना है कि फोन के बाहर भी एक खूबसूरत दुनिया है।