Monday, June 17, 2024
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क्या थायराइड होने पर कंसीव करना होता है मुश्किल? डॉक्टर से जानिए इस बीमारी का प्रेग्नेंसी से जुड़ा कनेक्शन

दुनिया मे हर 8 में से 1 महिला को थायराइड है। थायराइड होने पर महिलाओं को लगता है कि वो कंसीव नहीं कर सकती हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है चलिए हम डॉक्टर से जानते हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Updated on: May 26, 2024 11:49 IST
क्या थायराइड होने पर कंसीव करना होता है मुश्किल? - India TV Hindi
Image Source : SOCIAL क्या थायराइड होने पर कंसीव करना होता है मुश्किल?

थायराइड के बढ़ने की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) और हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism ) कहा जाता है। जब मुंह में मौजूद थायरॉयड ग्रंथि थायराइड हार्मोन को नहीं बनाती है तब हाइपोथायरायडिज्म होता है। वहीं हाइपरथायरायडिज्म वो स्थिति है जब बहुत ज्यादा थायराइड हार्मोन का प्रोडक्शन होने लगता है। थायराइड हमारे शरीर के लिए कई परेशानियां पैदा कर देती हैं। खासतौर से थायराइड की समस्या महिलाओं को ज्यादा परेशान करती है। दुनिया मे हर 8 में से 1 महिला को थायराइड है। लेकिन फिर भी एक लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक 60% महिलाएं इसके लक्षणों से अंजान हैं। महिलाओं को अक्सर यह लगता है कि थायराइड की वजह से कंसीव नहीं कर सकती हैं। ऐसे में थायराइड जैसी बीमारी के प्रति जागरूकता को फैलाने के लिए हर साल 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है। आज ‘विश्व थायराइड डे’ के दिन न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के हेड विज्ञान मिश्रा, से जानते हैं कि क्या वाकई थायराइड की वजह से महिलाओं की प्रेग्नेंसी में दिक्कत आती है? 

थायराइड में किया जा सकता है कंसीव

डॉ. विज्ञान मिश्र कहते हैं कि थायराइड से जूझ रहीं महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं। हालांकि कई बार ऐसी स्थिति में कंसीव करना मुश्किल होता है। लेकिन अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं। डॉक्टर का यह भी कहना है कि इस बीमारी में असल चुनौती प्रेग्नेंसी के बाद शुरू होती है। अगर महिला गर्भवती हो जाती है तो उसे और बच्चे को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।

प्रेग्नेंसी में थायराइड होने पर देना पड़ता है बेहद ध्यान 

थायराइड दो तरह के होते हैं पहला है हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism ) जो कि एक अंडरएक्टिव थायरॉयड है तो वहीं दूसरा है हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism ) जो एक ओवर एक्टिव थायरॉयड है। बता दें ये दोनों ही टाइप के थायरॉयड प्रेग्नेंसी में जोखिम को बढ़ाते हैं। हाइपोथायरायडिज्म में बांझपन, मिसकैरेज, प्रीक्लेम्पसिया, एनीमिया, जन्म के समय शिशु का वजन कम और शिशु के विकास से जुड़ी समस्याएं होती हैं। वहीं, हाइपरथायरायडिज्म के कारण गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर, समय से पहले जन्म जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर प्रेगनेंसी के वक्त थायराइड की दिक्कत हो तो बच्चे के आई क्यू लेवल पर भी असर पड़ता है क्योंकि दिमाग का 90% हिस्सा जन्म से पहले ही बनता है।

थायराइड में महिलाएं कैसे करें अपना बचाव?

थायराइड से पीड़ित महिलाओं को अपना ख़ास ध्यान रखना होता है। अगर आप गर्भवती हैं और थायराइड की समस्या से पीड़ित हैं तो आप नियमित रूप से रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट ) करें ताकि थायराइड का लेवल मेंटेन रहे। साथ ही डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाइयों का सेवन करें। अपनी डाइट का ख़ास ख्याल रखें और आयोडीन से भरपूर संतुलित आहार लें। थायराइड में महिलाएं गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान बेहतरीन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के पास जाएं और उनके बताए गए सभी सुझावों को फॉलो करें। ऐसा करने से थायरॉयड से पीड़ित माँ और बच्चे दोनों के लिए जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है। 

 

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