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तीस हजारी कांड: बवाल में घायल हुए 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी और वकील, जांच के लिए बनाई गई SIT

मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त ने क्राइम ब्रांच की एक SIT गठित कर दी है। SIT का प्रमुख विशेष आयुक्त स्तर के पुलिस अधिकारी को बनाया गया है।

Reported by: IANS
Updated : November 03, 2019 6:57 IST
30 lawyers, policemen injured, SIT to probe clash at Tis...- India TV Hindi
30 lawyers, policemen injured, SIT to probe clash at Tis Hazari Courts | PTI

नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली जिले में स्थित तीस हजारी अदालत में शनिवार को पुलिस और वकीलों के बीच हुई खूनी लड़ाई में 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी और एक एडिशनल DCP, 2 SHO के अलावा 8 वकील जख्मी हो गए। झगड़े के दौरान एक वकील को पुलिस द्वारा हवा में चलाई गई गोली भी लगी है। गुस्साए वकीलों ने जेल वैन और पुलिस जिप्सी सहित 20 से ज्यादा वाहन आग में झोंक दिए। मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त ने क्राइम ब्रांच की एक SIT गठित कर दी है। SIT का प्रमुख विशेष आयुक्त स्तर के पुलिस अधिकारी को बनाया गया है।

पूर्व जज ने याद किया 30 साल पहले हुआ बवाल

इस बीच, शनिवार के घटनाक्रम पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस.एन. ढींगरा ने 17 फरवरी, 1988 को तत्कालीन डीसीपी किरण बेदी और वकीलों के बीच इसी तीस हजारी अदालत में हुए बबाल को याद किया। शनिवार देर शाम दिल्ली पुलिस से गुस्साए वकीलों ने सोमवार तक दिल्ली की सभी अदालतों में कामकाज बंद रखने का ऐलान कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस.एन. ढींगरा ने शनिवार देर शाम आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इस घटना ने अब से करीब 31 साल पहले (17 फरवरी, 1988) जब पूर्व आईपीएस किरण बेदी और दिल्ली पुलिस के बीच हुए बबाल की कड़वी यादें ताजी कर दी हैं। उस जमाने में ढींगरा तीस हजारी अदालत में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट सेशन जज थे। 

‘लाठीचार्ज के विरोध में पड़ गए थे अदालतों में ताले’
एस.एन. ढींगरा ने कहा, ‘भारत में ज्यादातर वकील मानते हैं कि जैसे बस वे ही कानून, जज और अदालत हैं। अधिकांश वकील सोचते हैं कि मानो कानून वकीलों से चलता है, न कि जज-अदालत और संविधान से। जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। सबके मिलने से ही देश और कानून चला करता है। किरण बेदी से हुए बवाल के बाद वकीलों ने खुद को दमखम वाला साबित करने के लिए अदालतों में ताले डलवा दिए। मगर मेरी अदालत चलती रही और मैं फैसले सुनाता रहा। मेरे पास उन दिनों मेट्रोमोनियल अदालत थी। मेरी अदालत में उन दिनों फैसले ही सुनाए जा रहे थे। तभी एक दिन (17 फरवरी 1988 या उसके एक-दो दिन बाद ही, जहां तक मुझे याद आ रहा है) पता चला कि किरण बेदी द्वारा कराए गए लाठीचार्ज के विरोध में वकीलों ने दिल्ली की तमाम अदालतों में ताले डलवा दिए।’

‘मैंने कह दिया था, हड़ताल वकीलों की है, अदालतों की नहीं’
आप उन हालातों से कैसे निपटे? ढींगरा ने कहा, ‘वकील मुझसे भी चाहते थे कि मैं डरकर बाकी तमाम अदालतों की तरह अपनी अदालत में ताला डलवा लूं। जोकि न संभव था और न मेरे न्यायिक सेवा में रहते हुए कभी संभव हो सका। मेरी अदालत (मेट्रोमोनियल कोर्ट) खुली रही। मैं अपनी अदालत में रोजाना बैठकर फैसले सुनाता रहा। मेरी अदालत में जब हड़ताली वकील पहुंचे तो मैंने उन्हें दो टूक बता-समझा दिया, 'हड़ताल वकीलों की है अदालतों की नहीं।’

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तीस हजारी कोर्ट में बवाल के बाद की एक तस्वीर। PTI

जानें, पुलिस ने इस घटना पर क्या कहा
दिन भर की लंबी चुप्पी के बाद देर रात उत्तरी दिल्ली जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरेंद्र सिंह ने कहा, ‘पुलिस ने विपरीत हालातों में भी सब्र और समझ से काम लिया। हमें मौके पर मौजूद कैदियों, पुलिस और वकीलों को सुरक्षित बचाने की चिंता पहले थी। काफी हद तक हम अपने इस प्रयास में कामयाब भी रहे।’ देर रात दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने भी दिन भर के इस मामले पर अधिकृत बयान जारी कर दिया। बयान में झगड़े की जड़ अदालत के 'लॉकअप' पर तैनात दिल्ली पुलिस की तीसरी वाहिनी के संतरी (हथियारबंद सिपाही) और वकील के बीच कार पार्किं ग को लेकर हुई बहस को प्रमुख वजह बताया गया।

‘जबरदस्ती लॉकअप में घुस गए वकील’
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता अनिल मित्तल के मुताबिक, ‘कुछ वकील लॉकअप के सामने कार खड़ी कर रहे थे। संतरी ने कहा कि यहां से कैदी और उनके वाहन आने-जाने में बाधा उत्पन्न होगी। इसी बात पर मौके पर कई और भी वकील इकट्ठे हो गए। सीसीटीवी फूटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे वकील जबरदस्ती लॉकअप में ही घुस पड़े। समझाने के बाद भी वकील, पुलिसकर्मियों से हाथापाई और बदसलूकी करते रहे। वकीलों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी। हालात बेकाबू होते देख और लॉकअप में बंद विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा में पुलिस को हवा में गोली चलानी पड़ी।’

‘झगड़े में कई पुलिसकर्मियों और वकीलों को लगी चोट’
पुलिस मुख्यालय से जारी बयान के मुताबिक, ‘झगड़े में 20 पुलिसकर्मियों सहित एक एडिशनल डीसीपी और दो एसएचओ जख्मी हो गए। 8 वकीलों को चोटें आई हैं। 12 निजी मोटर साइकिलें, दिल्ली पुलिस की एक क्विक रिएक्शन टीम की जिप्सी, 8 जेल-वाहनों को क्षति पहुंचाई गई। इन सभी वाहनों में आग लगाई गई है।’ धुंए और आगजनी से लॉकअप में बंद कैदियों का दम घुटने लगा, तो उन्हें मानव श्रंखला बनाकर सुरक्षित तिहाड़ जेल भेजा गया। दोनों पक्षों की ओर से शिकायतें मिली है। जांच के लिए क्राइम ब्रांच की SIT गठित कर दी गई है। SIT प्रमुख विशेष आयुक्त (पुलिस) स्तर का अधिकारी होगा।

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