तिरूवनंतपुरम: सौ फीसदी साक्षरता, प्रगतिशील समाज और उच्च सामाजिक विकास सूचकांक के बावजूद पिछले एक दशक में केरल में रेप के कुल 16,755 मामले आए हैं। वर्ष 2007 से जुलाई 2017 के बीच, महिलाओं के साथ रेप के 11,325 मामले आए हैं, जबकि 5,430 मामलों में बच्चों के साथ अपराध हुआ है। अपराधों के आंकड़े के अनुसार, केरल पुलिस ने इस वर्ष के पहले 9 महीनों में ही रेप के 1,475 मामले दर्ज किए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में जनवरी से दिसंबर के बीच रेप के 1,656 मामले दर्ज हुए थे। तुलना करें तो लगभग प्रतिवर्ष अपराधों की संख्या में वृद्धि ही हुई है। वर्ष 2007 में इनकी संख्या 500 थी, 2008 में 548, 2009 में 554, 2010 में 617, 2011 में 1132, 2012 में 1019, 2013 में 1221, 2014 में 1347, 2015 में 1256, 2016 में 1656 और वर्ष 2017 में सितंबर तक 1475 मामले सामने आए हैं। केरल पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 1,32,365 मामले दर्ज हुए हैं।
वरिष्ठ IPS अधिकारी अजीता बेगम का कहना है कि त्वरित सुनवाई, दोषियों को सजा और जमीनी स्तर पर जागरूकता से महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आ सकती है। रेप के इतने ज्यादा मामले आने के संबंध में उनका कहना है कि एक तरह से यह सकारात्मक संकेत भी है क्योंकि अब महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हैं और अपने खिलाफ होने वाले अपराध से लड़ने के लिए तैयार हैं। बेगम ने कहा, ‘मामला दर्ज होना, जांच का शुरूआती कदम होता है। त्वरित और पेशेवराना जांच से दोषियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी। हमें अपराध होने के तुरंत बाद शिकायत दर्ज कराने की संस्कृति विकसित करनी होगी।’