Wednesday, May 08, 2024
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दिल्ली विश्वविद्यालय में दिखी कश्मीर की कला और संस्कृति की झलक

कश्मीर की कला और संस्कृति से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों रूबरू कराने के लिए DU प्रशासन ने इस हफ्ते मीरास-ए-कश्मीर नाम से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।

Bhaskar Mishra Reported by: Bhaskar Mishra @mishrabhasker
Published on: February 20, 2020 19:36 IST
Glimpses of Kashmiri art and culture in delhi university- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Glimpses of Kashmiri art and culture in delhi university

नई दिल्ली। कश्मीर की कला और संस्कृति से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों रूबरू कराने के लिए DU प्रशासन ने इस हफ्ते मीरास-ए-कश्मीर नाम से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। DU में देश के बाहर से छात्र पढ़ने के लिए आते हैं, ऐसे में उन्हें अपने देश की सांस्कृतिक की विरासत को बारे में बताने के लिए एक सीरीज का आयोजन किया गया है। इसमें सबसे पहला स्थान कश्मीर को दिया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कश्मीरी संस्कृति के ध्वजवाहक डॉ कर्ण सिंह। कर्ण सिंह ने छात्रों को बताया कि कैसे कश्मीर में वेद की ऋचाएं और सूफियाना कलाम एक साथ गूंजता था। उन्होंने बताया कि कैसे कभी कश्मीर में मंदिर की घंटी और मस्जिद की अजान से वादियों में सौहार्द फैलता था और एक बार फिर से उस अतीत को जीने की जरूरत है। 

कश्मीर की कला और संस्कृति कि झलक दिखाने के लिए शुरू किए गए इस कार्यक्रम में कश्मीरी संगीत की झलक भी देखने को मिली। सबसे पहले पंडित भजन सोपोरी ने संतूर की मधुर धुन से शंकर लाल हॉल में मौजूद छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उसके बाद कश्मीरी छात्रों ने, जो DU में संगीत की शिक्षा ले रहे हैं, समा बांधाा। बारामुला के रहने वाले वसीम अहमद के संगीत ने बता दिया कि घाटी में सर्फ संगीन ही नहीं संगीत भी बजता है, उनकी आवाज में कश्मीर के सेब से भी ज्यादा मिठास है। 

 कश्मीरी संस्कृति के बारे ज्यादा से ज्यादा लोग जान सके उसको समझ सके इसलिए DU के VC ने इस कार्यक्रम के दौरान एक बड़ी घोषणा भी की। प्रोफेसर योगेश त्यागी ने कहा कि कश्मीर की कला और  संस्कृति पर जो छात्र अच्छा शोध आधरित लेख लिखेगा, और शोध को अगर अच्छे जर्नल में प्रकाशित किया गया तो शोध लिखने वाले छात्र को एक लाख का इनाम दिया जाएगा। 

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिश है कि इस तरह का कार्यक्रम सभी राज्यों की सांस्कृतिक के लिए किया जाय। जिस से यहां के छात्र न सिर्फ किताबी ज्ञान हासिल करें, बल्कि जब वो DU से निकले तो उन्हें देश भर की सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी भी रहे। 

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