उसके मुताबिक वो नहीं चाहती कि उसके बच्चे किसी महिला के तने हुए शरीर को ही आदर्श मान लें, जो कि शायद किसी मैगजीन में डिजिटली बनाए गए हों। वो चाहती है कि उसके बच्चों को पता होना चाहिए कि आगे चलकर इनका आकार बदलता है।
रीता कहती हैं कि उस दिन उन्हें अंदर से खुशी होगी जब उनके बेटे कहेंगे की कपड़े ठीक से पहनिये और दरवाजा खटखटा कर अंदर आएंगे। लेकिन तब तक मैं चाहती हूं कि वह मेरे शरीर को देखकर हंसते रहें जब मैं तौलिए के लिए कमरे में दौड़ लगाती हूं।