Saturday, April 27, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: दिल्ली के दंगे ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान देश को बदनाम करने की साजिश थी

शाहीन बाग का धरना हो, जाफराबाद का प्रोटेस्ट हो, अलीगढ़ के छात्रों का विरोध हो, या भारत के कुछ अन्य शहरों में हो रहे प्रदर्शन हों, सभी एक ही तरह की कहानी कहते हैं।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: November 26, 2020 19:15 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

दिल्ली की एक सेशन कोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के मामले में शरजील इमाम, उमर खालिद और फैजान खान के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र (सप्लिमेंट्री चार्जशीट) पर संज्ञान लिया है। इस साल फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि तीन आरोपियों के खिलाफ ऐक्शन के लिए आरोप पत्र में पर्याप्त चीजें थी। इन सभी को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया। इन लोगों पर आर्म्स ऐक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने (प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टीज ऐक्ट) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।

जिन अपराधों के तहत अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में संज्ञान लिया है, उनमें गैरकानूनी गतिविधियां, आतंकवादी गतिविधियां, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना, गैरकानूनी तरीके से भीड़ जुटाना, दंगा, अपराधियों को शरण देना, पूजा स्थल को नष्ट करना, हत्या, हत्या का प्रयास, घरों में तोड़फोड़, जालसाजी, डकैती और धोखाधड़ी के मामले शामिल हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 22 दिसंबर को होगी।

200 पन्नों की सप्लिमेंट्री चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की रिमोट कंट्रोलिंग की थी। इन दंगों में 53 लोग मारे गए। आरोप पत्र में कहा गया है कि उमर खालिद ने भारत की छवि खराब करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान हिंसा की साजिश रची। पुलिस ने आरोप लगाया है कि उमर खालिद ने चांद बाग और जाफराबाद जैसे हॉटस्पॉट को चुना जहां आसानी से दंगे भड़काए जा सकते थे। चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद ने अपने समर्थकों की एक बैठक में दंगों की साजिश की पूरी रूप-रेखा बताई थी।

दिल्ली दंगों की इस साजिश को समझने के लिए कुछ तारीखों को याद रखना जरूरी है। पहली तारीख है 4 दिसंबर 2019, इसी दिन से दिल्ली में आग लगाने की साजिश शुरू हो गई थी। इसकी वजह ये थी कि 4 दिसंबर 2019 को ही कैबिनेट ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल को संसद में पेश करने की सहमति दी थी। इसके बाद शरजील इमाम ने उमर खालिद के साथ मिलकर दिल्ली, अलीगढ़ और अन्य शहरों में इसका विरोध करने के लिए मुस्लिम छात्रों को एकजुट करना शुरू कर दिया।

शरजील इमाम ने 5-6 दिसंबर को जेएनयू के मुस्लिम स्टूडेंट्स का एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया। इसका नाम उसने MSJ (मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू) रखा। इस ग्रुप में 70 मेंबर्स थे। पुलिस का कहना है कि ये ग्रुप बनाया भले ही शरजील ने था लेकिन इसका आइडिया उमर खालिद का था। शरजील इमाम सांप्रदायिक जहर से भरे हुए भाषण देने में माहिर है और इसीलिए उमर खालिद ने उसे मुस्लिम छात्रों को संबोधित करने के लिए आगे किया।

पुलिस का कहना है कि इस वॉट्सऐप ग्रुप की चैट को अच्छी तरह स्टडी करने से यह साफ हो जाता है कि दिल्ली में चक्का जाम करने की स्ट्रैटिजी शरजील इमाम की थी। इसके बाद दिल्ली में चक्का जाम से शुरू हुआ हंगामा कई जिंदगियों और संपत्तियों को बर्बाद करके दंगों पर जाकर खत्म हुआ। चूंकि 9 नंबवर को राम मंदिर के मुद्दे पर फैसला आया था, इसलिए 6 दिसंबर 2019 को ही दिल्ली की अलग-अलग मस्जिदों में बाबरी मस्जिद के नाम पर पैंपलेट्स बांटे गए। शरजील इमाम ने JNU के बाद जामिया के छात्रों का वॉट्सऐप ग्रुप बनाया और इस ग्रुप का नाम SOJ (स्टूडेंट्स ऑफ जामिया मिल्लिया)  रखा गया। शरजील इमाम के कहने पर दिल्ली की जामा मस्जिद और निजामुद्दीन इलाकों में भी भड़काऊ पोस्टर्स बांटे गए थे।

अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दोनों ग्रुप्स में हुई बातचीत और मुसलमानों को बांटे गए पैंम्फलेट्स के स्क्रीनशॉट्स दिखाए थे। इन वॉट्सऐप चैट्स में कहां कितने पर्चे बांटे गए हैं और कितना खर्च हुआ जैसी चीजें डिस्कस की जा रही थीं। 13 दिसंबर को जामिया में CAA के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन का आयोजन इसी ग्रुप के द्वारा किया गया था। इस प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में लगभग 20 पुलिसवाले घायल हो गए थे। चार्जशीट में शरजील इमाम द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण की पूरी ट्रांसक्रिप्ट मौजूद है। अपने इस भाषण में उसने दिल्ली में 'चक्का जाम' करने और फल, दूध एवं सब्जियों की सप्लाई बंद करने की धमकी दी थी।

चार्जशीट के मुताबिक, शरजील और उमर खालिद ने इसी के बाद CAA विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में बेहद ही व्यस्त मथुरा रोड को ब्लॉक करने की योजना बनाई। 15 दिसंबर को एक बस में आग लगा दी गई और जामिया के छात्रों ने जमकर पथराव किया। पुलिस का कहना है कि शरजील इमाम ही इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे का मास्टरमाइंड था। चार्जशीट के मुताबिक, शरजील ने जामिया जाकर स्टूडेंट्स को CAA के नाम पर भड़काया जिसके बाद दंगे जैसे हालात बन गए। इन घटनाओं में 35 पुलिसवालों समेत कई लोग घायल हुए, 2 पुलिस बूथ को जला दिया गया और पास में स्थित न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में हिंसा हुई।

CAA विरोधी प्रदर्शनों को और व्यापक बनाने के लिए शरजील इमाम ने 11 दिसंबर को और फिर जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का दौरा किया। AMU में उसने छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्र विरोधी और सांप्रदायिक बातें कहीं। 16 जनवरी को AMU में अपने भाषण में शरजील ने असम को देश के बाकी हिस्सों से काटकर भारत को अलग करने की धमकी दी थी। इंडिया टीवी के पास उस भड़काऊ भाषण का टेप है।

पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, 15 दिसंबर 2019 को ही शाहीन बाग में धरने की प्लानिंग शुरू हुई थी। शरजील इमाम ने जामिया के अरशद वारसी के साथ मिलकर शाहीन बाग में धरने का खाका खींचा। रोड ब्लॉक करने की प्लानिंग में AMU के छात्र भी मौजूद थे। ये लोग अल हबीबी मस्जिद के पास धरने पर बैठ गए और पूरे शाहीन बाग और आसपास के इलाकों में CAA-NRC के लेकर भड़काने वाले पैंफलेट्स बांटे, मस्जिदों के जरिए अनाउंसमेंट करवाया। शुरुआत में शाहीन बाग के लोग इस तरह के धरने-प्रदर्शन के खिलाफ थे, इसलिए आयोजकों को 300 बांग्लादेशी मुस्लिम महिलाओं को  'किराए' पर लाकर धरने पर बैठाना पड़ा।

दिल्ली पुलिस ने एक वॉट्सऐप चैट पेश किया है जिसमें शरजील ने अपने भाई मुजम्मिल से कहा था कि शाहीन बाग के धरने का मास्टरमाइंड वह खुद है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, उमर खालिद ने ही शरजील इमाम से कई मस्जिदों और उनके मौलानाओं से संपर्क करने को कहा था ताकि CAA के खिलाफ प्रदर्शन के लिए और ज्यादा लोगों को लामबंद किया जा सके। चार्जशीट के मुताबिक,  शरजील इमाम और उमर खालिद ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और AMU में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों के वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाए। शाहीन बाग में जैसे ही महिलाओं का धरना शुरू हुआ, शरजील और उमर खालिद वहां से हट गए, और फिर जामिया में छात्रों द्वारा उपद्रव में तेजी लाने के लिए 10 जनवरी को JNU में एक मीटिंग हुई। जामिया की छात्रा आफरीन के साथ हुई बातचीत में शरजील ने हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों की स्ट्रैटिजी पर सैकड़ों की संख्या में लोगों को धरना स्थलों पर लाने की बात कही।

व्हाट्सएप चैट्स के जरिए दिल्ली पुलिस ने यह साबित करने की कोशिश की है कि शरजील इमाम और उनके सहयोगियों ने ही कांग्रेस सांसद शशि थरूर की जेएनयू विजिट के दौरान 'नारा-ए-तकबीर अल्लाह-हू-अकबर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह’ के नारे लगाए थे। शरजील ने 12 जनवरी को अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा था कि शशि थरूर JNU जाने वाले हैं, इसलिए उनके सामने नारेबाजी की जाए। पिछले साल 28 दिसंबर को दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी नाम से 2 वॉट्सऐप ग्रुप्स बनाए गए थे। उमर खालिद DPSG ग्रुप का हिस्सा था, जिसमें उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा को अंजाम देने की पूरी प्लानिंग की गई थी। पुलिस ने अपने आरोपों के समर्थन में उमर खालिद के मोबाइल फोन से डिजिटल सबूत इकट्ठा किए हैं।

उमर खालिद दिल्ली दंगों की साजिश रची थी, लेकिन साथ ही उसने खुद को इससे दूर रखने की प्लानिंग भी की थी ताकि वह साबित कर सके कि दंगों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। इसके लिए उसने 24 फरवरी को नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली मे दंगे भड़कने से एक दिन पहले ही पटना के लिए फ्लाइट बुक की थी। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, यह उमर खालिद के लिए एक 'Paid get Away' जैसा था। हालांकि उसकी यह तरकीब काम नहीं आई, क्योंकि पुलिस ने उमर खालिद के खिलाफ ऐसे मजबूत डिजिटल सबूत जुटाए हैं, जिनसे पता चलता है कि दिल्ली में दंगों की साजिश रचने में उसका अहम रोल था।

पुलिस का कहना है कि दंगों से ठीक एक दिन पहले 23 फरवरी 2020 को उत्तरी दिल्ली के जहांगीरपुरी की कुछ महिलाएं उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर पहुंचीं, CAA विरोधी प्रदर्शन किया, पुलिस से भिड़ीं और उनके ऊपर मिर्च पाउडर फेंका। तब तक दिल्ली में कम से कम 25 प्रोटेस्ट साइट्स तैयार हो चुकी थीं। लोगों को जुटाने के लिए शरजील इमाम 15 जनवरी को उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के खुरैजी गया। वह एक दूसरे वॉट्सऐप ग्रुप के साथ कॉन्टैक्ट करके एक और प्रोटेस्ट साइट तैयार करने की कोशिश कर रहा था।

11 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा की तारीखों की आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी गई। इसके बाद षड्यंत्रकारियों ने तय किया कि जब 24 और 25 फरवरी को ट्रंप भारत की धरती पर होंगे, तभी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काई जाएगी। पुलिस के मुताबिक, उमर खालिद ने ही दिल्ली दंगों की प्लानिंग की थी। अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप के मेंबर्स हाइपरऐक्टिव हो गए और चक्का जाम के साथ-साथ पुलिस के साथ टकराव की तैयारी करने लगे।

चार्जशीट की सारी डिटेल देखने के बाद ये तो साफ है कि तीन तलाक, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, CAA और NRC जैसे मुद्दों का इस्तेमाल बहुत ही चतुराई और चालाकी से लोगों को भड़काने में किया गया। पूरी दुनिया में भारत को बदनाम करने के लिए दिल्ली में दंगे कराने की साजिश रची गई। पुलिस के पास इस बात के सबूत हैं कि जब डोनाल्ड ट्रंप भारत में मौजूद थे तभी प्लानिंग के साथ दंगे कराए गए क्योंकि उस समय पूरी दुनिया की निगाहें हिंदुस्तान पर थीं, इंटरनेशनल मीडिया यहां मौजूद था।

शाहीन बाग का धरना हो, जाफराबाद का प्रोटेस्ट हो, अलीगढ़ के छात्रों का विरोध हो, या भारत के कुछ अन्य शहरों में हो रहे प्रदर्शन हों, सभी एक ही तरह की कहानी कहते हैं। इन सबका एकमात्र उद्देश्य यही था कि दुनिया को ऐसा दिखाया जाए कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है और उनकी आवाज दबाई जा रही है। इसके लिए महिलाओं को आगे किया गया, बुजुर्गों को सर्दी में सड़क पर बैठाया गया, जगह-जगह आग लगाई गई, पुलिस पर पथराव किया गया और 'किराए' के प्रदर्शनकारी लाए गए।

दिल्ली पुलिस के लिए कोर्ट में अपने इन आरोपों को साबित करना और 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का पर्दाफाश करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसका मकसद देश को तोड़ने की साजिश रचने वालों को सजा दिलाने और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाने का होना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 नवंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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