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इस खूंखार आतंकी को छुड़ाने के लिए श्रीनगर के अस्पताल पर हुआ हमला

2014 में जब इसे गिरफ्तार किया गया था तब ये महिला के लिबास में सुरक्षाबलों को चकमा देकर भागने की फिराक में था लेकिन पकड़ा गया। दरअसल सुरक्षाबलों को चकमा देना नावीद की फितरत है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : February 07, 2018 10:37 IST
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इस खूंखार आतंकी को छुड़ाने के लिए श्रीनगर के अस्पताल पर हुआ हमला

नई दिल्ली: आतंकियों ने श्रीनगर में अस्पताल पर हमला कर जिस खूंखार आतंकी को आजाद कराया वो कोई और नहीं बल्कि हिंदुस्तान के मोस्टवांटेड हाफिज सईद का फेवरेट गुर्गा है। हाफिज ने उसे अपनी देखरेख में ही ट्रेन्ड किया है और चार साल पहले जब वो पुलिस के हत्थे चढ़ा तो उसे छुड़ाने के लिए प्लानिंग की गई और कल अस्पताल पर अटैक कर उसे छुडा़ लिया गया। इस खूंखार लश्कर आतंकी का नाम है नावीद जट्ट उर्फ अबु हंजाला। श्रीनगर के अस्पताल के बाहर जम्मू-कश्मीर के दो पुलिसवालों को शहीद कर भागने वाला लश्कर का खूंखार आतंकी नावीद जट्ट की यही पहचान है।

2014 में जब इसे गिरफ्तार किया गया था तब ये महिला के लिबास में सुरक्षाबलों को चकमा देकर भागने की फिराक में था लेकिन पकड़ा गया। दरअसल सुरक्षाबलों को चकमा देना नावीद की फितरत है। कल भी उसने अपने साथियों से घात लगाकर पुलिसवालों पर हमला करवाया और फिर मौके से भाग निकला। 2014 में गिरफ्तारी के बाद नावीद ने पूछताछ में पुलिस के सामने जो बातें बताईं थीं उससे पता चला कि ये लश्कर चीफ हाफिज सईद और खूंखार आतंकी लखवी का कितना करीबी है।

2012 में भारत में घुसपैठ करने से पहले नावीद जट को लश्कर के पीओके आतंकी कैंप में दो साल की ट्रेनिंग दी गई थी। इस दौरान मनसेहरा और शेवाई जंगल के कैंप में उसे ट्रेनिंग मिली। बाद में नावीद लश्कर के हेडक्वार्टर मुरीदके कैंप में भी तीन महीने तक रहा जहां उसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। मुरीदके वही आतंकी कैंप है जहां हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी का अक्सर आना-जाना होता है। इस कैंप में उन्हीं आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है जो हाफिज और लखवी का खास होता है। नावीद को भी हथियार चलाने की ट्रेनिंग हाफिज की निगरानी में ही मिली थी।

साल 2012 में नावीद जट्ट और अबु मुसा समेत सात आतंकियों के ग्रुप को कुपवाड़ा के अथमुकाम फरकियान एरिया से घुसपैठ कराया गया था। घुसपैठ के बाद नावीद के साथ 22 आतंकियों का ग्रुप जंगल में रहा था। अक्टूबर 2012 से मई 2013 तक ये आतंकी बांदीपुरा के जंगल में रहे। यहीं पर इन्हें फोन, सिम कार्ड और स्काईप का इस्तेमाल सिखाया गया।

बांदीपुरा में ही नावीद की मुलाकात एनकाउंटर में मारे गए आतंकी अबु दुजाना से हुई थी। बांदीपुरा से ही नावीद लश्कर आतंकियों को सुरक्षाबलों को टारगेट करने के लिए भेजा जाता था। घाटी में लश्कर के एक ग्रुप की अगुवाई नावीद जट्ट कर रहा था। नावीद अपने ग्रुप के साथ 7 पुलिसवालों को टारगेट कर चुका है। अबु दुजाना के साथ मिलकर नावीद और अबु असामा ने इलेक्शन पार्टी को भी निशाना बनाया था। नावीद ने पूछताछ में ये भी बताया था कि उसका हैंडलर अबु सुजाद पाकिस्तान में रहता है और उसे सीधे पाकिस्तान से ही हमले का हुक्म मिलता था।

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