Tuesday, April 30, 2024
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Chandrayaan 3: अमेरिका, रूस और चीन से कहीं अलग है भारत का मिशन, जानें सॉफ्ट और हार्ड लैंडिंग में अंतर

चंद्रयान-3 आज चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में लैंड करने वाला है। दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को इस मिशन से चांद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिलने की उम्मीद है।

Subhash Kumar Edited By: Subhash Kumar
Published on: August 23, 2023 16:56 IST
Chandrayaan-3- India TV Hindi
Image Source : ISRO चंद्रयान-3

भारत का चंद्रयान 3 अब कुछ ही घंटों में चंद्रमा पर लैंडिंग करने जा रहा है। ऐसा करते ही भारत दुनिया में नया इतिहास रचने वाला देश बन जाएगा। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन भी चंद्रमा पर लैंड कर चुके हैं लेकिन मिशन चंद्रयान-3 इन देशों के मिशन से कहीं अलग है। आइए जानते हैं कैसे भारत इन देशों को पीछे छोड़कर इतिहास रचने जा रहा है। 

चांद के दक्षिणी भाग पर सॉफ्ट लैंडिंग

भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी भाग में लैंड करने वाला है। ये सॉफ्ट लैंडिग के माध्यम से चांद पर उतरेगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं लेकिन किसी ने भी दक्षिणी भाग को फतह नहीं किया। ऐसा इसलिए क्योंकि चांद के अन्य हिस्सों के मुकाबले दक्षिणी भाग पर लैंडिंग सबसे जटिल काम है। रूस का लूना-25 इस प्रयास में विफल हो गया है। चंद्रयान-3 के लैंड करते ही भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा और दक्षिणी भाग पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

सॉफ्ट और हार्ड लैंडिंग में क्या अंतर?
बीते कुछ समय से चंद्रयान के लिए 'सॉफ्ट लैंडिंग' शब्द काफी प्रयोग किया जा रहा है। सॉफ्ट लैंडिंग का मतलब होता है किसी अंतरिक्ष यान का उसके लक्ष्य पर सुरक्षित तरीके से पहुंचना। इसमें यान या उसके पेलोड को कोई भी नुकसान नहीं होता है। 'हार्ड लैडिंग' किसी दुर्घटना से थोड़ा अलग तो है लेकिन इससे यान को काफी हद तक नुकसान पहुंचता है। हार्ड लैंडिंग के कारण यान की उपकरणों में खराबी आती है जिससे मिशन विफल हो सकता है। चंद्रयान-2 का लक्ष्य सॉफ्ट लैंडिग था लेकिन इसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी। 

क्या है चांद के दक्षिणी हिस्से में?
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का ज्यादातर हिस्सा अरबों वर्षों से अंधेरे में है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इस क्षेत्र में सौरमंडल के निर्माण समेत कई रहस्य दबे हुए हैं। दक्षिणी भाग में लंबे समय से जमी बर्फ के कारण यहां पानी और अन्य खनिज होने की संभावना जताई जा रही है। अगर रिसर्च में ये बात सच होती है तो भविष्य में चांद पर मानव कॉलोनियां बसाने में भी आसानी होगी।

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