
नई दिल्लीः इंडिया टीवी के She Conclave में लेफ्टिनेंट कर्नल निवेदिता नांदल, लेफ्टिनेंट कमांडर सृष्टि जाखड़ और स्क्वाड्रन लीडर निकिता मल्होत्रा ने खुलकर सवालों का जवाब दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल निवेदिता नांदल ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में बताया कि इंडियन आर्मी ज्वाइन करना हमेशा से उनका सपना था।
पिता से प्रेरणा लेकर आर्मी में आयीः निवेदिता
नांदल ने कहा कि पिता सेना में बिग्रेडियर थे, उनको देखकर मोटिवेट हुई। पिता का देश प्रेम, अनुशासन मुझे मोटिवेट करता था। पिता ने आर्मी में जाने के लिए कभी नहीं कहा। चेन्नई की गर्मी में हमें कड़ी ट्रेनिंग दी गई। मैं हथियार के साथ 6 से 7 घंटा रनिंग करती थी। अगर आप काबिल हैं तो जेंडर से फर्क नहीं पड़ता। निवेदिता ने कहा कि महिला हैं या पुरुष इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अहम ये है कि आपके अंदर कितनी क्षमता है। औरतों के लिए हर सेक्टर में चैलेंज होता है।
लेफ्टिनेंट कमांडर सृष्टि जाखड़ ने बताया अपना अनुभव
वहीं, लेफ्टिनेंट कमांडर सृष्टि जाखड़ ने कहा कि बचपन में नेवी अफसरों को आते-जाते देखा करती थी। नेवी अफसर की यूनिफॉर्म पहनना मेरा सपना था। एकेडमी में ट्रेनिंग के दौरान हर तरह का चैलेंज फेस किया। मेंटल, फिज़िकल और इमोशनल तीनों चैलेंज फेस किया। इंडियन नेवी में मुझे हमेशा सिर्फ ऑफिसर की तरह देखा गया। सृष्टि जाखड़ ने बताया कि मेरे मेल काउंटरपार्ट्स ने कभी लेडी अफसर की तरह नहीं देखा। अपने आपको सपना देखने से कभी मत रोकिए। अपने बच्चों को सपने देखने की खुली छूट दीजिए।
स्क्वाड्रन लीडर निकिता मल्होत्रा ने कही ये बातें
स्क्वाड्रन लीडर निकिता मल्होत्रा ने कहा कि मेरा बचपन से ही पायलट बनने का सपना था। भारतीय वायुसेना में देश की सेवा करने का मौका मिला। वायुसेना ने बचपन का सपना पूरा करने का मौका दिया। परिवार से फौज में आने वाली पहली सदस्य हूं। मेरे पिता भी सेना में भर्ती होना चाहते थे।
निकिता मल्होत्रा ने बताया कि एयरफोर्स ज्वाइन करने के लिए वज़न घटाना पड़ा। 'लड़की हूं' ये सोचकर कभी ख़ुद को साबित नहीं किया। हमेशा ये सोचकर ख़ुद को साबित किया कि मैं कर सकती हूं। कर्तव्य पथ पर लड़ाकू विमानों के फ्लाईपास्ट का हिस्सा थी। गणतंत्र दिवस पर वीरता के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड मिला। मंज़िल पाने के लिए अपने ऊपर विश्वास रखना ज़रूरी है।