Saturday, May 04, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध खत्म करने को क्यों कहा?

शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में मोदी ने बताया कि कैसे भारत ने वैक्सीन और दवाएं भेजकर दुनिया के बाकी देशों की मदद की।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Published on: September 17, 2022 19:13 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से साफ-साफ कहा कि ‘अब युद्ध का जमाना नहीं है’। उन्होंने यह बात शुक्रवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO शिखर सम्मेलन से इतर एक द्विपक्षीय बैठक के दौरान कही। मोदी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए पुतिन से कहा कि अब ‘डेमोक्रेसी, डायलॉग और डिप्लोमेसी’ का वक्त है।

मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक की कमी के रूप में अन्य देशों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए पहल करने का भी आग्रह किया। पुतिन ने मोदी से पहले अपनी बात रखी थी। उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति को स्वीकार हुए कहा था कि उनका देश संघर्ष को जल्द से जल्द रोकने की पूरी कोशिश करेगा।

पुतिन से मोदी की अपील वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स के वेब पेज की मुख्य खबर थी। इसे अमेरिकी मुख्यधारा की मीडिया ने व्यापक कवरेज दी थी। वॉशिंगटन पोस्ट के खबर की हेडलाइन थी, 'मोदी ने यूक्रेन में युद्ध के लिए पुतिन को फटकार लगाई।'

वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘मोदी ने पुतिन को आश्चर्यजनक रूप से सार्वजनिक फटकार लगाते हुए कहा: ‘आधुनिक दौर युद्ध का युग नहीं है और मैंने आपसे इस बारे में फोन पर बात की है।’ रिपोर्ट में कहा गया, ‘पुतिन ने मोदी से कहा, ‘मैं यूक्रेन में संघर्ष पर आपका रुख जानता हूं, मैं आपकी चिंताओं से अवगत हूं, जिनके बारे में आप बार-बार बताते रहते हैं। हम इसे जल्द से जल्द रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, विरोधी पक्ष यूक्रेन के नेतृत्व ने वार्ता प्रक्रिया छोड़ने का ऐलान किया और कहा कि वह सैन्य माध्यमों से यानी ‘युद्धक्षेत्र में’ अपना लक्ष्य हासिल करना चाहता है। फिर भी, वहां जो भी हो रहा है, हम आपको उस बारे में सूचित करते रहेंगे।’

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की हेडलाइन थी, ‘भारत के नेता ने पुतिन को बताया कि यह युद्ध का दौर नहीं है।’ उसने लिखा, ‘मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यूक्रेन के हमले के बाद पुतिन के साथ पहली आमने-सामने की बैठक के एक दिन बाद ये टिप्पणियां कीं। जिनपिंग ने रूसी राष्ट्रपति की तुलना में अधिक शांत लहजा अपनाया और अपने सार्वजनिक बयानों में यूक्रेन के जिक्र से बचने की कोशिश की।’

पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान मोदी यूक्रेन के मुद्दे को काफी चतुराई से उठाया। मोदी ने पहले तो जंग में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन और रूस का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह इसके लिए दोनों देशों के आभारी हैं, लेकिन साथ ही पुतिन से ये भी कहा कि युद्ध किसी के लिए अच्छा नहीं है। मोदी ने कहा, युद्ध समाधान नहीं खुद समस्या है।

रूस ने यूक्रेन पर इसी साल 24 फरवरी को हमला किया था। उस वक्त पुतिन ने कहा था कि 7 दिन में फैसला हो जाएगा, और यूक्रेन को रूस फतह कर लेगा। 7 महीने बीत चुके हैं, और यूक्रेन के कई इलाकों में अब रूस की सेना को पीछे हटना पड़ रहा है। रूस का दांव उल्टा पड़ गया है। युद्ध की बजह से यूक्रेन तो पूरी तरह बर्बाद हो गया है, लेकिन रूस के हालात भी अच्छे नहीं हैं। रूस में बेरोजगारी और मंहगाई बढ़ रही है, और इसका असर पूरी दुनिया पर हो रहा है।

क्रूड ऑयल और प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ गई हैं। यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया भर में फर्टिलाइजर्स (उर्वरक) की सप्लाई करते हैं। भारत भी यूक्रेन से फर्टिलाइजर मंगवाता है, लेकिन युद्ध के कारण यूरिया की सप्लाई बंद है। खाद की किल्लत हो रही है और गेहूं की पैदावार पर भी इसका असर पड़ा है। कुल मिलाकर यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग न यूक्रेन के लिए अच्छी है, न रूस के लिए और न पूरी दुनिया के लिए। दिक्कत की बात यह है कि रूस इतना आगे बढ़ चुका है कि पुतिन के लिए अपनी फौज को वापस लौटने का आदेश देना मुश्किल है। यूक्रेन भी अब बातचीत के मूड में नहीं हैं। इसीलिए मोदी ने पुतिन को इशारा दिया कि जिद से कुछ नहीं होगा। उन्होंने पुतिन से कहा कि डिप्लोमेसी और डायलॉग से ही रास्ता निकल सकता है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में मोदी ने बताया कि कैसे भारत ने वैक्सीन और दवाएं भेजकर दुनिया के बाकी देशों की मदद की। उन्होंने कहा कि भारत अब स्टार्टअप का हब बन रहा है, लेकिन कुछ देश तरक्की में रुकावट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी का इशारा पाकिस्तान की तरफ था, जिसने भारत को मध्य एशिया को ‘ट्रांजिट राइट्स’ यानी अपने यहां से सामान गुजरने देने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। भारत का प्लान ताजिकिस्तान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए गैस पाइपलाइन बिछाने का है, लेकिन पाकिस्तान के रवैये के कारण यह प्रोजेक्ट बरसों से लटका है। शिखर सम्मेलन में मोदी ने मांग की कि सभी देशों को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए ‘ट्रांजिट राइट्स’ मिलने चाहिए।

भारत ने भूख से तड़प रहे अफगानिस्तान के लोगों की मदद की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान ने गंहूं से भरे ट्रकों को रास्ता देने में बहुत आनाकानी की। मोदी की स्पीच को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सुना, और एक अलग ही रास्ता पकड़ लिया। उन्होंने अफगानिस्तान को SCO में शामिल करने का आह्वान किया। शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो मौजूद थे। भुट्टो ने माना कि शहबाज शरीफ और नरेंद्र मोदी के बीच 'हार्ड टॉक' हुई थी। जब भुट्टो से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान अगले साल भारत में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेगा, तो उन्होंने जवाब दिया कि पाकिस्तान ने अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है।

पुतिन ने मोदी को यह कहकर आश्चर्यचकित कर दिया कि मुझे पता है कि शनिवार को आप अपना जन्मदिन मनाने वाले हैं। पुतिन ने कहा कि रूसी परंपरा के मुताबिक हम कभी एडवांस में बधाई नहीं देते, क्योंकि यह शुभ नहीं माना जाता। पुतिन ने कहा, ‘लेकिन मैं आपको ये जरूर बताना चाहूंगा कि हमें आपके जन्मदिन की जानकारी है। रूसी परंपरा के मुताबिक, मैं आपको एडवांस में बधाई नहीं दे सकता। मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं। मैं रूस के दोस्त भारत को भी शुभकामनाएं देता हूं।’ (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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