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सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, जानिए शीर्ष अदालत ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुऐ केंद्र और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश से सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 14 अक्तूबर को होगी।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Niraj Kumar Published : Oct 06, 2025 12:46 pm IST, Updated : Oct 06, 2025 02:28 pm IST
Sonam wangchuk- India TV Hindi
Image Source : PTI सोनम वांगचु्

नई दिल्ली:  लद्दाख के सोशल एक्टिविस्टी सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। प्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुऐ केंद्र और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश से सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 14 अक्तूबर को होगी।

आदेश की कॉपी सोनम की पत्नी को दी जाए

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सोनम वांगचुक के हिरासत के आदेश की कॉपी उनकी पत्नी को दी जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सोनम वांगचुक को जेल में चिकित्सा सुविधा दी जाए। बता दें कि सोनम वांगचुक को जोधपुर के जेल में रखा गया है।

हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर केंद्र शासित प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 अन्य घायल हो गए थे। वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं। वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और वकील सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आंगमो ने वांगचुक के खिलाफ रासुका लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है।

जोधपुर जेल में बंद हैं सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक लद्दाख में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़प के बाद हिरासत में लिए जाने के बाद से राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डालने से पहले वांगचुक की पत्नी ने  राष्ट्रपति को संबोधित तीन पृष्ठों के पत्र में आरोप लगाया कि पिछले चार वर्ष से लोगों के हितों के लिए काम करने के कारण उनके पति को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानतीं कि उनके पति किस स्थिति में हैं। लेह के उपायुक्त के जरिए भेजे गए ज्ञापन में आंगमो ने कहा, "हम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई का आग्रह करते हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने देश की तो बात छोड़िए, किसी के लिए भी खतरा नहीं बन सकते। उन्होंने लद्दाख की धरती के वीर सपूतों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है और हमारे महान राष्ट्र की रक्षा में भारतीय सेना के साथ एकजुटता से खड़े हैं।" 

वांगचुक को लेह शहर में हुई हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत के दो दिन बाद 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। 

 

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