Friday, April 19, 2024
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हवा से बातें करेगी स्लीपर कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस, जानें पटरियों पर क्या होगी इसकी रफ्तार

अगले 2 सालों में वंदे भारत एक्सप्रेस की 400 ट्रेनों का निर्माण होगा जिनमें 200 ट्रेनों में बैठने की सुविधा होगी जबकि बाकी की 200 स्लीपर कोच के साथ पटरियों पर दौड़ेंगी।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Updated on: January 20, 2023 8:16 IST
वंदे भारत ट्रेन...- India TV Hindi
Image Source : PTI वंदे भारत ट्रेन यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है।

नई दिल्ली: रेल यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी वंदे भारत एक्सप्रेस से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि अब या ट्रेन स्लीपर वर्जन में भी पटरियों पर हवा से बातें करेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वंदे भारत एक्सप्रेस के स्लीपर वर्जन को 220 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से यात्रा करने के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि, एल्यूमीनियम से बनी यह स्लीपर ट्रेन पटरियों पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।

रेलवे ने जारी किया 400 वंदे भारत ट्रेनों के टेंडर

रिपोर्ट्स के मुताबक, वंदे भारत ट्रेनों का चेयर कार वर्जन धीरे-धीरे शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगा। वहीं, इसका स्लीपर वर्जन राजधानी एक्सप्रेस की जगह पटरियों पर उतरेगा। रेलवे ने 400 वंदे भारत ट्रेनों के लिए टेंडर जारी किया है। 4 बड़ी घरेलू और विदेशी कंपनियों ने इस ट्रेन के उत्पादन में रुचि जताई हैं। पहली 200 वंदे भारत ट्रेनों में शताब्दी एक्सप्रेस की तरह बैठने की सुविधा होगी। इन्हें 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा के लिए डिजाइन किया जाएगा, हालांकि ट्रैक पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने की वजह से स्टील से बनी ये ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी।

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Image Source : PTI
चेन्नई की इंटिग्रेटेड कोच फैक्टरी में वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रोडक्शन में व्यस्त कर्मचारी।

दूसरे फेज की 200 वंदे भारत ट्रेनों में होंगे स्लीपर कोच
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दूसरे चरण में एल्यूमिनियम से बनी हुई स्लीपर श्रेणी की 200 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाएंगी। इन ट्रेनों को 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन किया जाएगा लेकिन पटरियों पर इनकी अधिकतम गति 200 किमी प्रति घंटा होगी। इसके लिए दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता रेलवे ट्रैक की पटरियों की मरम्मत की जा रही है और सिग्नल सिस्टम को सुधारा जा रहा है। इसके अलावा दोनों रेल मार्गों पर 1,800 करोड़ रुपये की लागत से टक्कर से बचाने के लिए तकनीकी ढाल लगाई जा रही है। सभी 400 ट्रेनें अगले 2 सालों में बनकर तैयार हो जाएंगी।

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