Sunday, April 14, 2024
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महाभियोग प्रस्ताव लाकर फंस गई कांग्रेस, राहुल के इस फैसले से पार्टी में 'बगावत'?

हर मुद्दे पर कांग्रेस का साथ देने वाली पार्टियों की बात छोड़ दें, महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस घर के अंदर ही बंट गई है। एक नहीं, कांग्रेस के दो-दो कानून मंत्रियों ने अपनी पार्टी के फैसले पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 21, 2018 10:54 IST
Is Congress divided over CJI Dipak Misra impeachment notice?- India TV Hindi
Image Source : PTI महाभियोग प्रस्ताव लाकर फंस गई कांग्रेस, राहुल के इस फैसले से पार्टी में 'बगावत'?  

नई दिल्ली : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ महाभियोग लाने पर कांग्रेस में फूट पड़ गई है। यूपीए सरकार में देश के कानून मंत्री रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार जैसे लोगों ने महाभियोग प्रस्ताव का विरोध किया है। संविधान और कानून के कई जानकारों ने भी महाभियोग लाने को सही नहीं बताया है। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या ये महाभियोग बदले की भावना से लाया गया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस बाहर से लेकर अंदर तक बुरी तरह घिर गई है। (क्या होता है महाभियोग या Impeachment Motion?)

हर मुद्दे पर कांग्रेस का साथ देने वाली पार्टियों की बात छोड़ दें, महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस घर के अंदर ही बंट गई है। एक नहीं, कांग्रेस के दो-दो कानून मंत्रियों ने अपनी पार्टी के फैसले पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने जैसे-तैसे महाभियोग का समर्थन करने के लिए सात दलों को तो अपने साथ कर लिया लेकिन अपने कुनबे को ही संभाल नहीं सकी। कांग्रेस के नेता और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा है कि वो महाभियोग प्रस्ताव के हक में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि अगर उनसे पूछा जाता, तो वो महाभियोग प्रस्ताव का विरोध करते। अश्विनी कुमार ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस तरह संसद और न्यायपालिका में टकराव नहीं होना चाहिए। चीफ जस्टिस को लेकर चार जजों ने तीन महीने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जो सवाल उठाए, वो अपनी जगह हैं, लेकिन उन तमाम मुद्दों का समाधान महाभियोग नहीं हो सकता है। अश्विनी कुमार ने कहा कि अगर महाभियोग प्रस्ताव ना रखा जाता, तो बेहतर होता।

कांग्रेस और उसके साथ खड़े सात पार्टियों ने महाभियोग प्रस्ताव में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ पांच आधार गिनाए हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है लेकिन कांग्रेस की बात तब पिट गई जब पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने महाभियोग पर सवाल उठा दिए। सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे इस फैसले में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'कोर्ट के किसी फैसले के खिलाफ असहमति के आधार पर महाभियोग बहुत गंभीर बात है। इस पर अलग-अलग पार्टियों के बीच जो चर्चा हुई है, मैं उसका हिस्सा नहीं हूं।'

आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी दस्तखत नहीं किए हैं। कहा जा रहा है कि मनमोहन सिंह इसके पक्ष में नहीं हैं इस वजह से उन्होंने महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है। सिर्फ यही नहीं कानून के जानकार और यूपीए सरकार में वित्त, गृह जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके पी चिदंबरम ने भी महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत नहीं किए हैं। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रस्ताव पर दस्तखत तो किए लेकिन ये भी कह दिया कि वो महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में नहीं थे लेकिन पार्टी के फैसले का सम्मान किया।

यही वजह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस समेत सात दलों के इस महाभियोग प्रस्ताव को बदले का महाभियोग कहा है। उन्होंने कहा, “ये महाभियोग प्रस्ताव कांग्रेस और साथियों की हार का बदला है। जज लोया केस में ये फैसला हो गया था की कांग्रेस झूठ फैला रही थी। अब कांग्रेस एक जज को डराने की कोशिश कर रही है। महाभियोग जैसे विषय को हल्के तरीके से लेना बहुत खतरनाक घटना है। राज्यसभा के 50 सदस्यों और लोकसभा 100 सदस्यों के दस्तखत ऐसे मुद्दे पर जुटाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए ये खतरा है। बाकी जजों को संदेश भेजने की कोशिश है कि अगर आप हमसे सहमत नहीं होंगे तो सिर्फ 50 सांसद आप से बदला लेने के लिए काफी हैं।“

कांग्रेस के प्रस्ताव को लेकर देश के सबसे सीनियर वकील रामजेठमलानी ने भी महाभियोग लाने वालों की कानून की समझ पर सवाल उठा दिया है। चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव ऐसे समय लाया गया है जब एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने जज बीएच लोया की मौत की जांच कराने की मांग खारिज की है। आखिर महाभियोग के पीछे कांग्रेस की असली मंशा क्या है, क्या देश में राजनीतिक जंग को महाभियोग की शक्ल दी जा रही है?

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