Thursday, April 18, 2024
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कन्हैया कुमार की नागरकिता समाप्त करने संबंधी याचिका खारिज, याची पर लगा हर्जाना

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 05, 2020 22:58 IST
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Image Source : PTI FILE कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया।

प्रयागराज: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल की गई याचिका करार देते हुए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट ने हर्जाने की रकम एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है। याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने सुनवाई की। 

‘ऐसे नहीं समाप्त की जा सकती नागरिकता’

याचिका में कहा गया कि जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाए थे। जिस पर उनके खिलाफ देशद्रोह की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है। दिल्ली में इस मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 5 (सी) और भारतीय नागरिकता कानून 1955 की धारा 10 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से सिर्फ तभी वंचित किया जा सकता है, जब उसे नेच्युरलाइजेशन (विदेशी व्यक्ति को भारत का नागरिक बनाने की प्रक्रिया) या संविधान में प्रदत्त प्रक्रिया के तहत नागरिकता दी गई हो। कन्हैया कुमार भारत में ही पैदा हुए हैं। वह जन्मजात भारत के नागरिक हैं। इसलिए सिर्फ मुकदमे का ट्रायल चलने के आधार पर उनकी नागरिकता समाप्त नहीं की जा सकती। 

कोर्ट ने याची पर लगाया 25 हजार का जुर्माना
कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याची ने कानूनी प्रावधानों का अध्ययन किए बगैर महज सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह याचिका दाखिल की है। वह भी ऐसे समय में, जब कोरोना संक्रमण के कारण अदालतें सीमित तरीके से काम कर रही हैं और मुकदमों का बोझ बहुत है। ऐसे में इस प्रकार की फिजूल की याचिका दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत के कीमती वक्त की बर्बादी है। कोर्ट ने इसके लिए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। याची को यह रकम एक माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष बैंक ड्राफ्ट से जमा करना है, जो एडवोकेट्स एसोसिएशन के खाते में भेजी जाएगी। हर्जाना जमा न करने पर कोर्ट ने वाराणसी के डीएम को इसे राजस्व की तरह वसूलने का निर्देश दिया है। (IANS)

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