Sunday, April 28, 2024
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14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह, मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुए गिरफ्तार

जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह को एक विशेष अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पूर्व मंत्री को ईडी ने धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि आरोपी सहयोग नहीं कर जांच को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहा है।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: November 18, 2023 20:15 IST
lal singh- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह

जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री लाल सिंह को 7 नवंबर को कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किये जाने के बाद, जम्मू की एक विशेष अदालत ने दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) के अध्यक्ष लाल सिंह को उनकी 12 दिनों की हिरासत समाप्त होने के बाद वर्चुअली विशेष न्यायाधीश बाला ज्योति के सामने पेश किया गया था। पूर्व मंत्री प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में थे। 

"जांच को बेपटरी करने की कोशिश कर रहे पूर्व मंत्री"

सुनवाई के दौरान विशेष अदालत ने कहा, ‘‘मामले की जांच जारी है और आरोपी एक गंभीर और गैर-जमानती अपराध में शामिल है, साथ ही आईओ (जांच अधिकारी) के अनुसार, आरोपी सहयोग नहीं कर जांच को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहा।’’ अदालत ने कहा, ‘‘इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण गवाहों के बयान रिकॉर्ड किये जाने अभी बाकी है, इसलिए आईओ का अनुरोध स्वीकार किया जाता है और आरोपी व्यक्ति को 14 दिनों के लिए, 18 नवंबर 2023 से 1 दिसंबर 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है।’’ 

लाल सिंह के खिलाफ क्या है मामला

अदालत ने निर्देश दिया कि लाल सिंह को जम्मू के अंफाला जिला कारागार में रखा जाए और जांच अधिकारी को जांच में तेजी लाने को कहा। सिंह, अपनी पत्नी और पूर्व विधायक कांता अंदोतरा द्वारा संचालित एक शैक्षणिक न्यास के खिलाफ मामले के सिलसिले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। वहीं, एक संबद्ध घटनाक्रम में, जम्मू के प्रधान सत्र न्यायाधीश की अदालत में मुख्य जमानत अर्जी पर दलील पेश की गई और सोमवार को भी दलील पेश की जाएगी। 

धन शोधन का मामला, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा इस मामले में अक्टूबर 2021 को दायर चार्जशीट से बना है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चार जनवरी और सात जनवरी 2011 के बीच भूखंड आवंटित करने में कथित आपराधिक मिलीभगत थी। इसके आधार न्यास ने कई भूखंड हासिल किए। सिंह को 2015 में, मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा सरकार में शामिल किया गया था। कठुआ बलात्कार व हत्या मामले को लेकर विवाद के बीच उन्होंने 2019 में भाजपा छोड़ दी थी।

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