Friday, April 26, 2024
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23 अप्रैल को करें इस देवी के मंत्र को सिद्ध, गरीबी मिटने के साथ-साथ मिलेगी शत्रु पर विजय

आप जिस ब्रह्मास्त्र विद्या के प्रयोग के बारे में सुनते हैं, जिसका प्रयोग महाभारत में अश्वत्थामा ने अर्जुन पर किया था और उसके जवाब में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र प्रयोग किया था, वह ब्रह्मास्त्र विद्या कुछ और नहीं, बल्कि देवी बगलामुखी ही हैं। देवी बगलामुखी ही ब्रह्मास्त्र विद्या हैं। आज हम आपको देवी बगलामुखी के उस खास 36 अक्षरों के मंत्र का प्रयोग भी बतायेंगे, जिसको सिद्ध करके आप कुछ भी पा सकते हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 22, 2018 13:35 IST

Baglamukhi jayanti 2018

Baglamukhi jayanti 2018

ऐसे करें इस बगलामुखी मंत्र की साधना
देवी बगलामुखी के मंत्र की साधना के लिये सबसे पहले यंत्र स्थापना करनी चाहिए। इसके लिये सबसे पहले देवी बगलामुखी के धातु आदि से बने यंत्र को एक तांबे के बर्तन में स्थापित करके, पहले उस पर घी का अभ्यंग करें, यानी घी से यंत्र का स्नान कराएं। फिर दूध और जल की धारा यंत्र पर डालें। फिर साफ कपड़े से यंत्र को अच्छी तरह से पोंछ लें।  

इसके बाद पीठ आदि के बीच में पुष्पांजलि देते हुए यंत्र को स्थापित करें। फिर देवी बगलामुखी का ध्यान करते हुए यंत्र पर पीले फूलों से पुष्पांजलि दें और धूप-दीप आदि से उसकी पूजा करें। देवी बगलामुखी का ध्यान इस प्रकार करना है-
"मध्येसुधाब्धि मणिमण्डपरत्नवेदी सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
पीताम्बराभरण-माल्या-विभूषितांगीं देवीं नमामि धृत-मुद्-गर-वैरिजिह्वाम्।।
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं, वामेन शत्रुं परि-पीडयन्तीम्।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन, पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।

इस प्रकार ध्यान करके, यंत्र स्थापित करके, पूजा आदि के बाद, देवी मां को नमस्कार करते हुए मंत्र जाप शुरू करना चाहिए। इस मंत्र का पुरश्चरण वैसे एक लाख जप है, लेकिन आज एक दिन में एक लाख जप करना आपके लिये संभव नहीं है, तो आप केवल दस हजार मंत्रों का ही जाप कर लीजिये।

अगर उतना भी आपके लिये किसी कारणवश संभव नहीं है तो हजार मंत्रों का ही जाप कीजिये। इससे भी आपके काम में आ रही बाधाओं से आपको मुक्ति मिलेगी। यहां एक बात पर जरूर ध्यान दें कि आप जितना भी जप करें, उसके दसवें हिस्से के बराबर होम करना चाहिए, होम के दसवें हिस्से के बराबर तर्पण करना चाहिए, तर्पण के दसवें हिस्से के बराबर मार्जन करना चाहिए और मार्जन के दसवें हिस्से के बराबर ब्राह्मण भोज कराना चाहिए।

उदाहरण के लिये

मान लीजिये आप दस हजार मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो आपको हजार बार हवन करना चाहिए, सौ बार तर्पण करना चाहिए, दस बार मार्जन करना चाहिए और एक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए, लेकिन अगर आप ये सब क्रिया करने में समर्थ न हो तो आपको उस क्रिया के हिस्से को जप में जोड़ लेना चाहिए। जैसे अगर आप हवन नहीं कर सकते, तो दस हजार मंत्रों में हजार मंत्र हवन के नाम के और जोड़ लीजिये, यानी अब आपको ग्यारह हजार मंत्रों का जाप करना है। इसी प्रकार आप बाकी की प्रक्रियाओं की संख्या भी जप में जोड़ सकते हैं, लेकिन ब्राह्मण भोज जरूर कराना चाहिए, इसकी संख्या जप में नहीं जोड़नी चाहिए। साथ ही मंत्र जप के लिये पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले रंग के आसन पर बैठना चाहिए और पीले रंग की हल्दी से बनी हुई माला से मंत्र जप करना चाहिए।

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