Friday, April 26, 2024
Advertisement

बच्चों के जन्म से ही माता-पिता 3 चीजों का रखें हमेशा ध्यान, तभी बनेगा वो संस्कारी

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 11, 2021 6:09 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार माता पिता को बच्चों का पालन पोषण करते वक्त किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए इस पर आधारित है। 

'पांच साल तक पुत्र का लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए। अगले दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराना चाहिए। लेकिन जब वो 16 साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में माता पिता को बच्चों का पालन पोषण करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में बताया है। अपने इस कथन में आचार्य ने कहा कि जब बच्चा नवजात शिशु हो तब से लेकर पांच साल तक उसका खूब लाड प्यार करना चाहिए। यही वक्त होता है जब बच्चा मां के गर्भ से निकलकर दुनिया में आता है। उस वक्त वो जिस लाड प्यार को पाएगा उसी आधार पर उसकी नींव बनेगी। 

सब चीजों से ज्यादा खतरनाक है मनुष्य के मन में सोच का अंधेरा होना

जैसा कि आप जानते हैं कि दुनिया में माता पिता से अच्छा शिक्षक बच्चे का कोई नहीं होता। जन्म से लेकर पांच साल तक उसे इतना लाड प्यार दें कि वो आपकी नजरों से इस दुनिया को देखें। उसे इस बात का अहसास हो कि उसके माता पिता उससे कितना प्यार करते हैं। यही वो उम्र होती है जब बच्चे माता पिता की नजरों से इस दुनिया को देखते हैं। इसलिए इस उम्र में बच्चे के लाड प्यार में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए।

सांप से भी ज्यादा खतरनाक है काले मन वाला व्यक्ति, दूर रहने में ही है भलाई

चाणक्य ने आगे कहा कि जन्म के पांच साल बाद से अगले दस साल तक माता पिता को बच्चों को छड़ी की मार से डराना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो उम्र होती है जब बच्चे बहुत ज्यादा शैतानी करते हैं। बड़ों का मान सम्मान करना, लोगों से किस तरह से बात करनी है, किस तरह से अपने विचारों को व्यक्त करना है, सब कुछ उन्हें पढ़ाया जाता है। इस उम्र में बच्चे स्कूल भी जाने लगते हैं तो उनकी जिंदगी में माता-पिता के अलावा और लोग भी धीरे धीरे सम्मिलित होने लगते हैं। ऐसे में बच्चों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। इस वक्त माता पिता को बच्चों को उनकी किसी भी गलती पर उन्हें छड़ी की मार से डराना चाहिए। यानी कि उनके मन में ये बात होनी चाहिए कि गलती करने पर सजा मिलेगी। जब माता पिता की छड़ी की मार का डर उनके मन में रहेगा तो वो किसी भी गलती को करने से बचेंगे। 

विष के घड़े के समान है ऐसे लोग, एक बार भी पड़ गया पाला तो जिंदगी हो जाएगी बर्बाद

चाणक्य ने आगे कहा कि जब बच्चा 16 साल का हो जाए तो पेरेंट्स को बच्चों का दोस्त बन जाना चाहिए। ये ऐसी अवस्था होती है जब उन पर माता पिता जरूरत से ज्यादा लगाम कस कर नहीं रख सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि वो युवास्था में होते हैं और कुछ साल बाद बालिग भी हो जाएंगे। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि वो बच्चों का दोस्त बनकर रहें। एक ऐसा दोस्त जिससे वो अपने दिल की सारी बातें शेयर कर सकें। अगर माता-पिता इस उम्र में बच्चों से अपनी बात मनवाने के लिए जोर जबरदस्ती करेंगे तो बच्चा पेरेंट्स से अपने दिल की बात कभी नहीं कहेगा। हो सकता है कि वो उनसे बाते भी छिपाने लगे। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि 5 साल तक पुत्र का लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए। अगले दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराना चाहिए। लेकिन जब वो 16 साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement