Saturday, April 27, 2024
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इन तीन चीजों को भूलकर भी नहीं समझना चाहिए कमजोर, मौका मिलते ही करते हैं पलटवार

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: August 27, 2020 6:13 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार रोग, शत्रु और सांप पर आधारित है।

'रोग, शत्रु और सांप को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। दोबारा हमला कर सकते हैं।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि मनुष्य को जिंदगी में कभी भी तीन चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये तीन चीजें आपको अपनी चपेट में लेने से एक बार तो छोड़ देगीं लेकिन मौका मिलते ही दोबारा अपनी गिरफ्त में ले सकती हैं। ये तीनों चीजें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि इनसे बच पाना बहुत मुश्किल होता है। ये तीन चीजें रोग, शत्रु और सांप हैं। 

अगर मनुष्य के शरीर को कोई रोग एक बार लग जाए तो उससे बाहर निकलना बड़ा मुश्किल होता है। कई बार इंसान इससे बच भी जाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि ये दोबारा आप को अपनी चपेट में न लें। ठीक इसी प्रकार सांप होता है। सांप की प्रवृत्ति घात लगाकर हमला करने की होती है। एक बार अगर आप सांप के चंगुल में आने से बच गए तो ये बिल्कुल न सोचे कि वो आप पर दूसरी बार अटैक नहीं करेगा। सांप हमेशा घात लगाकर हमला करता है। सांप के डसने से इ्ंसान का बचना नामुमकिन होता है। अगर बच भी जाए तो वो आप समझ जाइए कि आपसे ज्यादा भाग्यशाली कोई और नहीं हैं। लेकिन हर बार आप बच जाएं ये भी जरूरी नहीं है। 

शत्रु की बात की जाए तो वो भी सांप के जहर से कम नहीं होता। शुत्र तब तक फिर भी बेहतर होता है जब तक वह चोटिल न हो। यानि कि आपने द्वारा उसे कोई तुरंत आघात न पहुंचा हो। शत्रु उस जंगली शेर के समान होता है जो चोटिल होने पर और भी घातक हो जाता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कभी भी रोग, शत्रु और सांप

 को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। दोबारा हमला कर सकते हैं। 

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