महिष्मती नगर
महिष्मती नगर जिसे अब मध्यप्रदेश का महेश्वर कहते है। रामायण के अनुसार जब राक्षसराज रावण ने सभी राजाओं को जीत लिया, तब वह महिष्मती नगर के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर में गया। उस समय सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में जलक्रीड़ा कर रहा था। रावण को जब पता चला कि सहस्त्रबाहु नहीं है तो वह युद्ध की इच्छा से वहीं रुक गया।
नर्मदा की जलधारा देखकर रावण के मन में हुआ क् वह वहां पर भगवान शिव का पूजन करें। इसी लिए जहां अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ जलक्रीडा कर रहा था। वहा से थोडी दूर पर ही राक्षसराज रावण ले भगवान शिव की पूजा करना शुरु कर दिया।
सहस्त्रबाहु अर्जुन की एक हजार भुजाएं थीं। उसने खेल ही खेल में नर्मदा का प्रवाह रोक दिया, जिससे नर्मदा का पानी तटों के ऊपर चढ़ने लगा। जिस स्थान पर रावण पूजा कर रहा था, वह भी नर्मदा के जल में डूब गया। नर्मदा में आई इस अचानक बाढ़ के कारण को जानने रावण ने अपने सैनिकों को भेजा।
सैनिकों ने रावण को पूरी बात बता दी। रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया। जब यह बात रावण के पितामह पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास आए और रावण को छोड़ने के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली।
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