Saturday, May 04, 2024
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जानिए, आखिर क्यों शादी में निभाई जाती है कन्यादान की रस्म

जानिए आखिर हिंदू धर्म में शादी के समय कन्यादान का इतना ज्यादा महत्व क्यों है। इसका क्यों कहा जाता है महादान।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Published on: May 12, 2017 14:21 IST
KANYADAN- India TV Hindi
KANYADAN

धर्म डेस्क: बेटिंया जो कि हर घर की रौनक होती है। कहा जाता है कि बेटियों के बिना घर सुना-सुना होता है। इसके साथ ही जिस पिता ने कन्यादान नहीं किया। समझों उसने कोई भी पुण्य का काम नहीं किया। कन्यादान को महादान कहा जाता है। ये भी पढ़े: (महिलाओं का नाक में नथ पहनने के पीछे क्या है कारण, जानिए)

शास्त्रों में कन्यादान को सबसे बड़ा दान कहा गया है। इससे आपकी किस्मत से भी जोड़ा गया है। कन्यादान का अर्थ है बेटी को जिम्मेदारी योग्य हाथों में सौंपना। जिसके सभी उत्तरदायित्व की पूर्ति उसके ससुराल वाले ही करते है। कन्यादान हिंदू धर्म के रीति-रिवाज में बहुत अधिक मायने रखता है।

जानिए आखिर हिंदू धर्म में शादी के समय कन्यादान का इतना ज्यादा महत्व क्यों है। इसका क्यों कहा जाता है महादान।

कन्यादान के बाद कन्या नये घर में जाकर परायेपन का अनुभव न करे, उसे भरपूर प्यार और अपनापन मिले। सहयोग की कमी अनुभव न हो, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिये। कन्या के हाथ हल्दी से पीले करके माता-पिता अपने हाथ में कन्या के हाथ, गुप्तदान का धन और पुष्प रखकर संकल्प बोलते हैं और उन हाथों को वर के हाथों में सौंप देते हैं। वह इन हाथों को गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ अपने हाथों में पकड़कर, इस जिम्मेदारी को स्वीकार करता है।

कन्या के रूप में अपनी पुत्री, वर को सौंपते हुए उसके माता-पिता अपने सारे अधिकार और उत्तरदायित्व भी को सौंपते हैं। कन्या के कुल गोत्र अब पितृ परंपरा से नहीं, पति परंपरा के अनुसार होंगे। कन्या को यह भावनात्मक पुरुषार्थ करने और पति को उसे स्वीकार करने या निभाने की शक्ति देवशक्तियां प्रदान कर रही हैं । इस भावना के साथ कन्यादान का संकल्पबोला जाता है। संकल्प पूरा होने पर संकल्प करने वाला कन्या के हाथ वर के हाथ में सौंप देता है, यही परंपरा कन्यादान कहलाती है। ये भी पढ़े: (भूलकर भी सुबह उठकर न देेखें ये चीजें, होगा नुकसान)

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