Friday, April 26, 2024
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मध्य प्रदेश उपचुनाव तय करेगा कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश में तीन नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव से यह तय होगा कि प्रदेश की सत्ता में कौन सी पार्टी रहेगी—सत्तारूढ़ भाजपा अथवा विपक्षी कांग्रेस।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 25, 2020 16:37 IST
Madhya Pradesh by-election will decide whose government will be formed in the state- India TV Hindi
Image Source : PTI Madhya Pradesh by-election will decide whose government will be formed in the state

भोपाल: मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश में तीन नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव से यह तय होगा कि प्रदेश की सत्ता में कौन सी पार्टी रहेगी—सत्तारूढ़ भाजपा अथवा विपक्षी कांग्रेस। मतों की गिनती 10 नवंबर को होगी । जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुए हैं, जबकि दो सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन से और एक सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त हुआ है। 

उल्लेखनीय है कि इस साल मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद कांग्रेस के तीन अन्य विधायक भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये। 

प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं, जबकि काग्रेस के 88, चार निर्दलीय, दो बसपा एवं एक सपा का विधायक है। भाजपा को बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र नौ सीटों की जरूरत है जबकि जबकि कांग्रेस को 28 सीटों की। राजनीति के एक जानकार ने बताया कि भाजपा को बहुमत के लिए मात्र नौ सीटें चाहिए और कांग्रेस को पूरी 28 सीटें चाहिए। इसलिए संख्या के आधार पर यह उपचुनाव कांग्रेस से ज्यादा आसान भाजपा के लिए दिखाई देता है। लेकिन यह भी समझने वाली बात होगी कि इन 28 सीटों में से 27 सीटें कांग्रेस की थी, इसलिए भाजपा के लिए यह इतना आसान भी नहीं होगा, जितना दिखाई दे रहा है। 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि जब बाबा साहेब अंबेडकर ने देश का संविधान बनाया था तो उन्होंने मौजूदा विधायक या सांसद की मौत की स्थिति में उपचुनाव का प्रावधान किया। लेकिन उन्होंने कभी ऐसी स्थिति के बारे में नहीं सोचा था, जहां खरीद-फरोख्त की वजह से उपचुनाव कराए जाएंगे और इसके लिये कानून में कोई प्रावधान नहीं है। 

इस साल मार्च में अपने विधायकों के इस्तीफा देने के कारण मुख्यमंत्री का पद गंवाने वाले कमलनाथ अपनी सभी उपचुनाव रैलियों में भाजपा पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं, ‘‘आज देश में उपचुनाव हो रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में जिन 25 सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है, उन पर मौजूदा विधायकों की मौत की वजह से नहीं, बल्कि विधायकों के खरीद-फरोखत के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। इससे पूरे देश में मध्य प्रदेश की छवि धूमिल हुई है।’’ 

कांग्रेस के इन बागी विधायकों में से ज्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं और वे भी सिंधिया की तरह भाजपा में शामिल हो गये थे। कमलनाथ के आरोप का जवाब देते हुए सिंधिया ने कहा, ‘‘हां, मैंने कांग्रेस सरकार गिरा दी थी, क्योंकि इसने सभी के साथ विश्वासघात किया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कमलनाथ और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, दोनों ने लोगों को धोखा दिया है और मेरी लड़ाई इन्हीं विश्वासघातियों से है।’’ 

पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने आरोप लगाया कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हो गई थी। उन्होंने मंत्रालय को दलालों का अड्डा बना दिया था। ट्रांसफर उद्योग खोल दिया था और कोई जनप्रतिनिधि उनके पास किसी काम के लिए जाता था, तो उसे कहते थे- ‘चलो-चलो’।’’ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में रैलियों को संबोधित करते हुए कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब कोई विधायक विकास कार्यों के लिए उनसे मिलने जाते थे तो हमेशा कहते थे पैसे नहीं हैं। लेकिन अपने गृह जिले छिंदवाड़ा के विकास और आईफा जैसे आयोजनों के लिए उनकी सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। 

चौहान ने कहा कि लोगों और उनके जनप्रतिनिधियों के प्रति असंवेदनशील रवैये के कारण कमलनाथ की सरकार केवल 15 महीने तक ही चली। हालांकि, इस उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है, लेकिन मायावती के नेतृत्व वाली बसपा और कुछ अन्य छोटे राजनीतिक दल भी मैदान में हैं। इन 28 सीटों पर 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा ने उन सभी 25 लोगों को अपना प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देर पार्टी में शामिल हुए हैं। उपचुनाव के नतीजे दस नवंबर को घोषित किये जायेंगे।

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