मुंबई: मराठी भाषा विवाद पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। राज्यपाल ने एक वाकया सुनाते हुए कहा, ''जब मैं तमिलनाडु में सांसद था, तो एक दिन मैंने कुछ लोगों को किसी को पीटते देखा। जब मैंने उनसे समस्या पूछी, तो वे हिंदी में बात कर रहे थे। फिर, होटल मालिक ने मुझे बताया कि वे तमिल नहीं बोलते हैं, और लोग उन्हें तमिल बोलने के लिए पीट रहे थे।
'हम महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं'
राज्यपाल ने आगे कहा, ''अगर हम इस तरह की नफरत फैलाएंगे, तो कौन आएगा और निवेश करेगा। लंबे समय में, हम महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मैं हिंदी समझने में असमर्थ हूं और यह मेरे लिए एक बाधा है। हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए।"
क्या है मराठी भाषा विवाद?
बता दें कि बीते कुछ समय से महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद चल रहा है, जिसे मराठी भाषा विवाद के रूप में जाना जा रहा है। यह विवाद मुख्य रूप से मराठी भाषा को बढ़ावा देने और इसे अनिवार्य करने की मांग के इर्द-गिर्द घूमता है, खासकर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में। इस विवाद में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम शामिल हैं, और यह हिंदी या अन्य गैर-मराठी भाषी लोगों के खिलाफ तनाव और हिंसक घटनाओं का कारण बना है।
इसी साल मार्च 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी के बयान ने विवाद को हवा दी, जिसमें उन्होंने कहा कि मुंबई में रहने वालों के लिए मराठी सीखना अनिवार्य नहीं है। इस बयान पर शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) जैसे दलों ने कड़ा विरोध जताया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठी महाराष्ट्र की संस्कृति का हिस्सा है और इसे सीखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
महाराष्ट्र सरकार ने अप्रैल 2025 में स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का फैसला लिया। इसे मराठी समर्थक समूहों ने "हिंदी थोपने" का प्रयास माना, जिससे विवाद और गहरा गया। इस नीति के खिलाफ शिवसेना (UBT) और MNS ने विरोध प्रदर्शन किए, इसे मराठी अस्मिता पर हमला बताया।
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