मुंबई: मराठा आंदोलन को लेकर पिछले लगभग एक वर्ष से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। जारांगे पाटिल का आंदोलन अभी भी जारी है। सरकार ने मांगों को मानते हुए कानून बनाने का ऐलान भी कर दिया है और इसके लिए 20-21 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया है। हालांकि अभी भी अपनी मांगों को लेकर मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल जारी है।
ओबीसी आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट
वहीं विधानसभा के विशेष सत्र से पहले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को सरकार को मराठा समुदाय में पिछड़ों को चिन्हित करने के मकसद से एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के जरिए मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने का खाका तैयार किया जाएगा। एमएसबीसीसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे और अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास वर्षा पर जाकर यह रिपोर्ट पेश की, जहां डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।
2.25 करोड़ लोगों के लिए तीन से चार लाख सर्वे किए जा चुके
जस्टिस शुक्रे ने कहा कि यह देशभर में अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है। राज्यभर में 2.25 करोड़ लोगों के लिए तीन से चार लाख सर्वे किए जा चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जस्टिस शुक्रे की अध्यक्षता में एमएसबीसीसी टीम द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट की तारीफ की। 24 घंटे युद्ध स्तर पर काम करके अधिकारियों ने इस सर्वे को तैयार किया है।
रिपोर्ट पर चर्चा के बाद दी जाएगी मंजूरी
एकनाथ शिंदे ने कहा, ''इस रिपोर्ट पर व्यापक चर्चा करने के बाद इसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्रदान की जाएगी। इसके बाद इसे विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पेश किया जाएगा, ताकि मराठा समुदाय को आरक्षण देने की दिशा में आगे का खाका तैयार किया जा सकें।" मुख्यमंत्री ने इस बात को दोहराया कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के पक्ष में है। अगर मराठा समुदाय को आरक्षण मिलता है, तो इससे उन्हें विधिक सुरक्षा मिलेगी।
मनोज जारांगे का आंदोलन है जारी
वहीं, मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से ओबीसी समुदाय को मिलने वाले आरक्षण में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं आएगी। इसके साथ ही शिंदे ने शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समााप्त करने की अपील की, जो शुक्रवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गई।