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मुंबई: 20 साल बाद एक मंच पर साथ आए उद्धव और राज ठाकरे, हिंदी भाषा विवाद ने करवाया 'भरत मिलाप'; VIDEO

उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना UBT और राज ठाकरे की पार्टी MNS 'मराठी विजय दिन' के नाम से संयुक्त रैली कर रही है। ये बड़ा मौका है, जब दोनों भाई 20 सालों के बाद एक मंच पर दिखाई दिए।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Jul 05, 2025 11:51 am IST, Updated : Jul 05, 2025 12:10 pm IST
Uddhav Thackeray, Raj Thackeray- India TV Hindi
Image Source : ANI उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में आज अहम दिन है। बीस साल से एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने वाले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आज एक मंच पर साथ नजर आए। दोनों भाइयों ने पहले राज्य सरकार की थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के विरोध में आज एक रैली का ऐलान किया था लेकिन विवाद बढ़ने पर महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी को फिलहाल स्थगित कर दिया।

इसको उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना UBT और राज ठाकरे की पार्टी MNS अब 'मराठी विजय दिन' के नाम से सेलीब्रेट कर रही है। लेकिन ठाकरे बंधुओं के मंच साझा करने पर ये अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि क्या दोनों अब राजनीतिक गठजोड़ भी कर सकते हैं। इसलिए दोनों के भाषण पर भी आज नजर होगी कि दोनों भविष्य में साथ आने के संकेत देते हैं या नहीं? हालांकि कांग्रेस के नेता इस रैली में शामिल नहीं होंगे। उधर रैली को लेकर बीजेपी नेताओं ने तंज कसा है कि BMC चुनाव को देखते हुए दोनों भाई साथ आ रहे हैं।

हिंदी को लेकर उद्धव और राज के क्या हैं विचार?

उद्धव ठाकरे का कहना है कि वे हिंदी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे थोपना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तीन भाषा नीति का विरोध करते हैं। वहीं राज ठाकरे का कहना है कि ये निरंकुश शासन लाने का छुपा हुआ एजेंडा है। मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है।

क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र सरकार ने इस साल 16 और 17 अप्रैल को हिंदी अनिवार्य करने से जुड़े दो आदेश दिए थे। इसके विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को संयुक्त रैली का ऐलान किया था। बाद में 29 जून को सरकार ने दोनों आदेश रद्द कर दिए। इस पर उद्धव ने दावा किया कि विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा। आज इस फैसले को लेकर विजय रैली के लिए दोनों भाई एक साथ नजर आए। राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नाम से नई पार्टी बनाई थी। शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत इस मौके को उत्सव बता रहे हैं।

राज ठाकरे का पॉलिटिकल ग्राफ गिरा

हालांकि दोनों भाई एक साथ जरूर आए हैं, लेकिन राज ठाकरे का पॉलिटिकल ग्राफ लगातार गिरते जा रहा है। साल 2009 के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी मनसे को 13 सीट मिली थीं। 2014 में राज की पार्टी की परफॉर्मेंस बहुत ही डाउन हो गई और मनसे को सिर्फ एक सीट मिली।

यही नतीजे 2019 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिले। 2019 में भी उनकी पार्टी एक सीट ही अपने नाम कर पाई। वहीं 2024 में भी मनसे का विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया। हालांकि अब दोनों ही पार्टी के नेता उम्मीद जता रहे हैं कि ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने से महाराष्ट्र की राजनीति में नई पॉलिटिकल फोर्स का जन्म होगा।

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