Sunday, April 28, 2024
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Year Ender 2023: मिजोरम में 36 वर्षों में पहली बार गैर-कांग्रेस, गैर-MNF सरकार बनी, 6 साल पहले बनी पार्टी ने दिग्गजों को किया चित

Year Ender 2023: मिजोरम में छह साल पहले बनी जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने पहली बार विधानसभा में धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाई। पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने। वे पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं।

Mangal Yadav Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: December 25, 2023 14:58 IST
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते लालदुहोमा- India TV Hindi
Image Source : PTI मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते लालदुहोमा

Year Ender 2023: मिजोरम ने इस साल अपने राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा क्योंकि यहां 36 वर्षों में पहली बार गैर-कांग्रेस, गैर-मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार चुनी गई। सिर्फ छह साल पहले बनी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने 40 विधानसभा सीटों में से 27 सीटें जीतकर जोरमथांगा के नेतृत्व वाली एमएनएफ सरकार को हरा दिया। इस पार्टी का नेतृत्व पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा ने किया। लोगों के लिए सरकार चलाने का वादा करने वाली जेडपीएम ने वर्ष 1987 के बाद से कांग्रेस के ललथनहवला और एमएनएफ के जोरमथांगा के बारी-बारी से राज्य के शीर्ष पद पर काबिज होने के बाद इस साल पूर्वोत्तर राज्य में लालदुहोमा के नेतृत्व में सरकार बनायी।

सात नवंबर के विधानसभा चुनाव में, एमएनएफ को सिर्फ 10 सीटें मिलीं। 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 26 सीट मिली थीं। एक ताकत के रूप में जेडपीएम का उदय मार्च में महसूस किया गया जब इसने लुंगलेई नगर परिषद चुनावों में सभी 11 सीटों पर जीत हासिल की। म्यांमा में सशस्त्र संघर्ष के कारण पड़ोसी देश से शरणार्थियों का आना और हिंसा प्रभावित मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों का राज्य में प्रवेश भी 2023 में मिजोरम की राजनीति पर हावी रहा।

नवंबर में मिलिशिया समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ द्वारा म्यांमा के कई सैन्य ठिकानों पर कब्जा करने से चिन राज्य के 5,000 से अधिक लोगों को मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। वर्तमान में, चिन राज्य के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है, जो म्यांमा के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। मई से पड़ोसी राज्य मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के कारण भी राज्य में आने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ गई है। जुलाई में, मणिपुर में कुकी-जो समुदाय के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए हजारों लोग राजधानी आइजोल में सड़कों पर उतरे।

तत्कालीन मुख्यमंत्री जोरमथांगा सहित कई मंत्रियों और विधायकों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। वर्ष के दौरान पड़ोसी राज्य असम के साथ सीमा विवाद भी मिजोरम की राजनीति में छाया रहा। पिछले साल नवंबर में सीमा वार्ता के दौरान हुए समझौते के अनुसार, जनवरी में मिजोरम ने एक अध्ययन समूह का गठन किया और असम पर अपना दावा पेश किया, जबकि राज्य सरकार ने विवादित क्षेत्र के 62 गांवों पर अपना दावा किया।

वहीं, असम ने कहा कि अधिकांश गांवों में गैर-मिजो लोग रहते हैं। इस वर्ष मिजोरम विधानसभा ने राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। मार्च में जी20 शिखर सम्मेलन की बी20 बैठक मिजोरम के आइजोल में हुई जिसमें 80 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल और 17 अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

(इनपुट-भाषा)

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