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AI हुआ और खतरनाक, फोटो जेनरेशन फीचर बना सकते हैं फर्जी Aadhaar Card, वार्निंग जारी

AI के फोटो जेनरेशन फीचर की वजह से बड़ा खतरा मंडराने लगा है। लोगों के साथ KYC फ्रॉड हो सकता है। डीपफेक फोटो और वीडियो को लेकर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने इसे लेकर लोगों को आगाह किया है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Apr 10, 2025 07:23 pm IST, Updated : Apr 10, 2025 07:32 pm IST
deepfake, AI- India TV Hindi
Image Source : FILE डीपफेक एआई फीचर

AI में जैसे-जैसे नए फीचर्स जुड़ते जा रहे हैं, ये हमारे लिए और भी खतरनाक होते जा रहे हैं। एआई एक तरफ हमारे काम को तो आसान बना रहा है वहीं दूसरी तरफ एआई के जरिए डीपफेक फोटो और वीडियो बनाकर साइबर अपराधियों ने लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। पिछले दिनों OpenAI ने अपने एआई टूल ChatGPT में फोटो जेनरेशन फीचर जोड़ा है। इस फीचर के जुड़ने के बाद एक्सपर्ट्स ने AI टूल के जरिए फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट जैसे डॉक्यूमेंट्स तैयार किए जाने की आशंका जताई है।

KYC फ्रॉड की आशंका

खास तौर पर बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस , टेलीकॉम, लॉजिस्टिक, हेल्थकेयर, एजुकेशन और एंटरटेनमेंट सेक्टर में AI के जरिए KYC फ्रॉड की आशंका है। एआई के फोटो जेरनेशन फीचर का इस्तेमाल करके साइबर अपराधी लोगों के फर्जी डॉक्यूमेंट जेनरेट करके बड़े साइबर फ्रॉड को अंजाम दे सकते हैं। ऐसे में संस्थानों के लिए डीपफेक डिटेक्शन टूल की जरूरत होगी, जो एआई द्वारा बनाए गए फर्जी डॉक्यूमेंट्स की पहचान कर सके।

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि फर्जी डॉक्यूमेंट्स का पता लगाने के लिए ट्रेडिशनल डिटेक्शन तकनीक जैसे कि वाटरमार्किंग, C2PA मेटाडेटा और फेस रेकोग्निशन पर्याप्त नहीं है। इस समय कई ऐसे एंटी-डिटेक्शन टूल मौजूद हैं, जो इस तरह के सिस्टम को आसानी से बाईपास कर सकते हैं। AI द्वारा बनाए गए फर्जी डॉक्यूमेंट्स को देखकर आपको बिलकुल नहीं लगेगा कि ये फर्जी हैं।

AI बढ़ा रहा टेंशन

AI का इस्तेमाल फर्जी वीडियो और ऑडियो बनाए जाने के साथ-साथ फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाने के लिए भी किया जा सकता है। यह एक नए तरीके का खतरा है, ऐसे में इन सेक्टर के संस्थानों को पहले दिन से ही फर्जी की पहचान करने वाले टूल्स की जरूरत है। ET Telecom के मुताबिक, साइबर सिक्योरिटी स्टार्ट-अप फर्म pi-labs के फाउंडर और CEO अंकुश तिवारी ने AI के दुरुपयोग की ये नई आशंका जताई है।

2024 में डीपफेक के जरिए किए जाने वाले फ्रॉड की वजह से लोगों को करीब 6 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। हांग कांग के एक MNC को डीपफेक की वजह से करीब 22.5 मिलियन डॉलर का नुकसान पिछले साल हुआ है। एक्सपर्ट्स की आशंका है कि 2028 तक सोशल इंजीनियरिंग और डीपफेक का इस्तेमाल करके 40 प्रतिशत तक साइबर अटैक के मामले सामने आ सकते हैं।

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