फोन पर आने वाले मैसेज और कॉल्स की वजह से आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है। आपके द्वारा उठाया गया एक गलत स्टेप साइबर अपराधियों को आपके बैंक अकाउंट का एक्सेस दिला सकता है। फर्जी कॉल्स या मैसेज की पहचान हो गई तो आप खुद के साथ फ्रॉड होने से बचा सकते हैं। पिछले साल दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी TRAI ने प्रमोशनल मैसेज और कॉल्स को लेकर नियम सख्त किए हैं। इसकी वजह से फोन पर आने वाले ज्यादातर फर्जी कॉल्स नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक हो जाते हैं।
SMS की बात करें तो इसका पहचान भी आसान है। आम तौर पर आपके नंबर पर आने वाले प्रमोशनल मैसेज, बैंक, ई-कॉमर्स कंपनी, टेलीकॉम ऑपरेटर, सरकारी संस्थानों आदि द्वारा भेजे जाते हैं। साइबर अपराधी इन मैसेज से मिलता-जुलता मैसेज लोगों को भेजकर उनके साथ फ्रॉड करते हैं।
फर्जी मैसेज में वायरस वाले ऐप के लिंक शेयर करते हैं, जिस पर क्लिक करते ही आपके फोन में ये वायरस पहुंच जाते हैं और आपकी निजी जानकारियां चुरा लेते हैं। क्रिमिनल्स इन जानकारियों का इस्तेमाल करके आपके साथ फ्रॉड कर सकते हैं।
कैसे पहचाने सही और फर्जी मैसेज?
सही और फर्जी SMS की पहचान करने के लिए आपको कुछ कोड्स का ध्यान रखना होगा। अगर, आप इन कोड्स के बारे में जान लेते हैं तो अपने साथ होने वाले फ्रॉड से बच सकते हैं। आपके फोन पर आने वाले मैसेज के सेंडर के आखिर में '-' के बाद S, G या फिर P लिखा होगा। ऐसे मैसेज सही होते हैं और इन मैसेज में दी गई जानकारियां फर्जी नहीं होगी। वहीं, अन्य नंबरों से आने वाले मैसेज फर्जी हो सकते हैं।
क्या हैं इन कोड्स का मतलब?
S - बैंकिंग सर्विस, ट्रांजैक्शन, टेलीकॉम सेवाओं आदि से जुड़े मैसेज के अंत में S लिखा होता है। इसका मतलब है कि यह मैसेज किसी सर्विस से जुड़ा है, जो आपने लिया हुआ है।
G - सरकारी योजना, सरकार द्वारा भेजे जाने वाले अलर्ट्स आदि वाले मैसेज के आखिर में आपको G यानी गवर्मेंट दिखेगा।
P - व्हाइटलिस्ट की गई कंपनियों के प्रमोशनल मैसेज के आखिर में आपको P यानी प्रमोशन दिखाई देगा। ये वो मैसेज होंगे, जिनके भेजने वालों को दूरसंचार विभाग द्वारा व्हाइटलिस्ट किया गया है।
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