उमा भारती ने कहा कि अगर तीन कृषि कानूनों की महत्ता प्रधानमंत्री मोदी किसानों को नहीं समझा पाए तो उसमें हम सब बीजेपी के कार्यकर्ताओं की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने कहा कि कानून वापस के एलान होने से एक बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में कुछ ऐसे गुट थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे।
लखनऊ के बंगला बाजार के इको गार्डन पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे।
प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में एसकेएम ने कहा कि आपके संबोधन में किसानों की प्रमुख मांगों पर ठोस घोषणा की कमी के कारण किसान निराश हैं। कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवार को पुनर्वास सहायता, मुआवजा मिलना चाहिए।
बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, हमने मीटिंग में तय किया है कि जो कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले तय किए थे वे आगे भी जारी रहेंगे। 27 तारीख को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होगी।
समाजवादी पार्टी ने अपने इस दावे को बल देने के लिए राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और उन्नाव से सांसद एवं भाजपा नेता साक्षी महाराज के बयानों का हवाला दिया।
कलराज मिश्र ने कहा कि किसान आंदोलन कर रहे थे। कृषि कानून वापस लेने पर अड़े थे। अंत में सरकार ने कानून वापस ले लिया। फिर आगे इस मामले में कानून बनाने की जरुरत पड़ी तो कानून बनाया जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा, ‘‘इसका इलाज क्या है? इसका कोई इलाज नहीं है। किसान संगठनों में आपस में वर्चस्व की लड़ाई है। ये लोग छोटे किसानों के फायदे के बारे में नहीं सोच सकते। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेने की घोषणा की है।’’
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि- 'आंदोलन को यह मुकाम 700 किसानों की शहीदी देकर मिला है। किसान न इस बात को भूलेगा और न ही हुकूमत को भूलने देगा।'
'देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा।'
सामना ने अपने संपादकीय में लिखा-'यह अहसास होने के बाद कि किसान अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे और उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में भाजपा की हार को भांपते हुए मोदी सरकार ने कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया। यह किसान एकता की जीत है'
चन्नी ने कहा कि अगर मोदी ने यह फैसला बहुत पहले ले लिया होता तो कई लोगों की जान बच जाती।
सिंह ने हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि शाह के साथ किसान आंदोलन पर चर्चा हुई और उनसे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर तत्काल संकट का समाधान करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन वह लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए और इसलिए इन कानूनों को वापस लिया जा रहा है।
शनिवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले प्रियंका गांधी वाद्रा ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों की जीत और सरकार के अहंकार की हार करार दिया।
गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसके समर्थन में खड़े रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
उद्योग ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे गतिरोध को रोकने में मदद मिलेगी
गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए।
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