केंद्र ने एमएसपी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को एसकेएम से पांच नाम मांगे थे। हालांकि बाद में एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि उसके नेताओं को केंद्र से इस मुद्दे पर फोन आये थे लेकिन कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है।
कृषि कानून वापसी विधेयक का लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी है और कानूनी तौर पर तीनों कृषि कानून अब समाप्त हो चुके हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक तय कार्यक्रम के मुताबिक 4 दिसंबर को होगी। आज केवल पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक होगी।
SKM ने एक बयान में कहा था कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।
जब राहुल गांधी से कहा गया कि क्या वे किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करेंगे तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैं किसान संगठनों से अपील नहीं करूंगा, उनसे अपील करने की जरूरत नहीं है, जिम्मेदार किसान संगठन है क्यों, उनकी क्या गलती है"
लोकसभा और उसके बाद राज्यसभा दोनों ही सदनों में तीनों कृषि कानून वापसी बिल ध्वनिमत से पास हुआ। कृषि कानून वापसी बिल को पहले लोकसभा में 12 बजे पेश किया गया, जिसे बिना चर्चा के चार मिनट के भीतर पास कर दिया गया।
लोकसभा से विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यसभा भेजा जाएगा और वहां से पास होने पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद तीनों कृषि कानूनों को रद्द माना जाएगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि MSP गारंटी कानून पर सरकार आनाकानी कर रही है अगर सरकार ने उनकी सभी मांग नहीं मानी तो फिर से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
23 दिसंबर तक चलने वाले इस शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से कुल 36 बिल पेश किए जाएंगे। कृषि कानूनों की वापसी पर सरकार जरूर झुक चुकी है, अब विपक्ष सदन में एमएसपी का मुद्दा उठाने जा रहा है। इसके अलावा कोरोना मृतकों को मुआवजा और महंगाई के मुद्दे पर भी सरकार घेरने की तैयारी है।
कृषि मंत्री ने कहा, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब आंदोलन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। बड़े मन का परिचय देते हुए पीएम मोदी की अपील को मानें और किसान घर वापस लौटें।
किसान 29 नवंबर को संसद कूच करने की योजना बना चुके हैं। हालांकि आज की बैठक में इसपर भी तय होगा कि क्या किसान ट्रैक्टर से संसद कूच करेंगे या नहीं? वहीं कृषि कानूनों के अलावा अपनी अन्य मांगों पर अब दबाब बनाये जाने का प्रयास किया जाने लगा है।
किसान संगठनों ने सरकार को अपनी मांगों पर झुकाने के लिए एक नया प्लान तैयार कर लिया है। प्लान एकदम साफ है जब तक एमएसपी समेत 6 मांगों पर मोदी सरकार फैसला नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि वह विभाजनकारी राजनीति में विश्वास करती है क्योंकि उनके नेता जिन्ना के बारे में बात करते हैं जो देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि यहां तक कि मुस्लिम समाज ने भी इसके लिए समाजवादी पार्टी की निंदा की।
29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन मोदी सरकार ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल को पारित कराने की तैयारी की है। बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी करते हुए 29 नवंबर (सोमवार) को सदन में मौजूद रहने को कहा है।
इससे पहले टिकैत ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी का चाचा जान बताकर उन पर निशाना साधा था। उन्होंने ओवैसी पर CAA कानून को निरस्त करने की मांग करने पर पलटवार किया था।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी।
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वादा किया कि सत्ता में वापसी होने पर वह किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को 25 लाख की सम्मान राशि देंगे। यह एक ऐसा चुनावी दांव है जो अगर कामयाब रहा तो उन्हें विधानसभा चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।
लोकसभा सचिवालय के बुलेटिन के अनुसार, सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किये जाने के लिये सूचीबद्ध है।
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है और सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी रखना समझ से परे है।
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