किसान राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर पर पिछले नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं।
वहीं करनाल में जिला सचिवालय का घेराव करते हुए किसानों ने पक्का मोर्चा जमा लिया है। वहीं खाना, पानी और कपड़े मंगवाए हैं। लंबे संघर्ष की तैयारी है। राकेश टिकैत का कहना है कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
करनाल जिला सचिवालय का घेराव करते हुए किसानों ने पक्का मोर्चा जमा लिया है। वहीं खाना, पानी और कपड़े मंगवाए हैं। लंबे संघर्ष की तैयारी है। राकेश टिकैत का कहना है कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी के लिए सपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए जसवंतनगर सीट छोड़ी हुई है। उनके नेताओं का भी ध्यान रखेंगे।
मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि, उनका एक अन्य सहयोगी दल पीएमके इसमें शामिल नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने, सभी फसलों के एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, बिजली विधेयक, 2021 को निरस्त करने और 'एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में एक्यू प्रबंधन आयोग विधेयक 2021' के तहत किसानों पर मुकदमा नहीं चलाने की उनकी मांगों पर भी सम्मेलन के दौरान चर्चा की गई।
किसान नेता अभिमन्यू कोहर ने कहा, “हमारे अन्य कार्यक्रमों के विपरीत, राष्ट्रीय सम्मेलन में सामूहिक सभा या रैली नहीं होगी, बल्कि, देश भर के किसान संघों के 1,500 प्रतिनिधि दो दिनों के लिए सिंघू बॉर्डर पर एक साथ आएंगे और हमारे प्रदर्शन को तेज करने की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।”
राकेश टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि यह उन्हें विरोध प्रदर्शन करने से नहीं रोक पाएगा और इन कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानून निरस्त नहीं हो जाते।
संसद सदस्यों और विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने मानसून सत्र में कटौती के विरोध में गुरुवार को संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।
बुधवार को संसद सत्र शुरू होने से पहले संसद के बाहर अकाली दल नेता और पंजाब से सांसद हरसिमरत कौर बादल संसद के बाहर किसान बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, तभी वहां पर कांग्रेस नेता और पंजाब से सांसद रवनीत बिट्टू पहुंचे और दोनों के बीच किसान कानूनों को लेकर बहस छिड़ गई।
बीजेपी के विरोध कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के श्रीगंगानगर में जमकर बवाल हुआ। यहां संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेताओं की अगुवाई में लोगों ने शुक्रवार को बीजेपी का विरोध शुरू कर दिया।
किसानों द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित ‘किसान संसद’ में गुरुवार को तीन कृषि कानूनों में से एक पर चर्चा की गयी और ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गयी।
किसानों को 'मवाली' कहने पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी से तत्काल इस्तीफे की मांग की। आंदोलन कर रहे किसानों के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा नेता की आलोचना करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पार्टी की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसानों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्हें मवाली बता दिया जिसपर किसान नेता राकेश टिकैत ने पलटवार करते हुए किसान को देश का अन्नदाता बताया।
विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसानों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्हें मवाली बता दिया है। उनकी तरफ से कहा गया है किसान सिर्फ बिचौलियों की मदद कर रहे हैं।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने गुरुवार को कहा कि उन्हें आशंका है कि सरकार इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए उनकी जासूसी करवा रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं, बिल के किस प्रावधान पर उनको आपत्ति है, अगर वो आपत्ति बताएंगे तो आज भी सरकार खुले मन से उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है।
किसान संगठनों ने संसद का घेराव करने की योजना बनाई थी लेकिन किसान यूनियन के एक नेता ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पंचायत तक सरकार के पास 2 महीने हैं और सरकार मान नहीं रही है। टिकैत ने आगे कहा कि ऐसा लग रहा है कि देश में जंग होगी और गृहयुद्ध होगा।
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