किसान कानून के विरोध में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों से केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के प्रावधानों के खिलाफ प्रदर्शन समाप्त करने और सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की गुरुवार को अपील की, लेकिन उन्होंने इन कानूनों को रद्द करने से इनकार कर दिया।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है, तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए।
इंडिया टीवी के कार्यक्रम चुनाव मंच में किसान आंदोलन और नए कृषि कानूनों को लेकर केन्द्रीय मंत्री सांसद डॉ.संजीव बालियान ने कहा कि किसानों से 11 बार बात हुई है। बातचीत का सिलसिला शुरू होना चाहिए। किसानों से दोबारा बातचीत होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया टीवी के विशेष कार्यक्रम चुनाव मंच (Chunav Manch) में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान शर्तों पर बात नहीं करेगा। सरकार पर किसानों को यकीन नहीं है। फिलहाल किसान संसद कूच नहीं करेंगे।
गुरुवार को शरद पवार ने कहा था कि किसान 6 महीने से आंदोलन कर रहे हैं और किसानों तथा केंद्र सरकार के बीच डेडलॉक हो चुका है, और वे अभी भी वहीं बैठे हुए हैं।
राष्ट्रीय किसान मंच ने उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। मंच द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि प्रदेश की मौजूदा भारतीय जनता पार्टी सरकार किसानों के हितों के बजाए पूँजीवादियों को फायदा पहुँचाने का काम कर रही है।
एसकेएम ने बयान में कहा गया है कि सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान 26 जून की तैयारी कर रहे हैं और वे इसे 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' के रूप में मनाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को ‘बदनाम’ कर रही है।
सरकार कृषि कानूनों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत के लिये तैयार है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार कृषि कानून के साथ साथ दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत के लिए तैयार।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा शासनकाल में किसानों को ‘गहरी चोट’ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आक्रोशित किसानों की एकता भाजपा के दंभ को चकनाचूर कर देगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर केंद्र सरकार से किसानों के साथ वार्ता पुन: शुरू करने की अपील की। एक सरकारी पैनल ने 22 जनवरी को किसान नेताओं के साथ बैठक की थी, लेकिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के हिंसक हो जाने के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई है।
राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को कहा कि तीन विवादित कृषि कानूनों पर किसान संघ केंद्र सरकार के साथ बात करने को तैयार हैं, लेकिन चर्चा इन कानूनों को रद्द करने को लेकर होगी।
बीकेयू के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि यदि सरकार आमंत्रित करती है तो नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान वार्ता के लिए तैयार हैं, बातचीत वहीं से शुरू होगी जहां 22 जनवरी को खत्म हुई थी और मांगों में कोई बदलाव नहीं है।
2016 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य की घोषणा की गई थी तब उसका आधार वर्ष 2015-16 रखा गया था। सरकार ने सात साल में यानी 2022-23 तक इसे हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
हरियाणा के जींद में रविवार को होने वाली किसान महापंचायत से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
तीन नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कृषि अर्थशास्त्रियों की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को इन तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों ने रविवार को ‘होलिका दहन’ के दौरान केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई।
प्रदर्शनकारियों ने विधायक को कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंचने दिया और उनके वाहन पर काला रंग पोत दिया।
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ किसान संगठनों ने आज शुक्रवार यानी 26 मार्च को भारत बंद बुलाया है। इस दौरान रेल और सड़क परिवहन सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है।
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