मध्यप्रदेश के शहर-शहर खाद को लेकर हंगामा हो रहा है। सरकारी एजेंसियों के खाद सेंटर्स पर किसानों की लंबी कतारें हैं। लेकिन सीएम शिवराज इन सबके पीछे साजिश का आरोप लगा रहे हैं।
लखीमपुर खीरी के डीएम ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फैक्ट्री के मालिक लाइसेंस का उल्लंघन कर नकली रासायनिक उर्वरकों का निर्माण करते पाए गए।
मंत्री ने कहा कि उन्हें विभिन्न राज्यों से उर्वरकों की कालाबाजारी की जानकारी मिली है। उन्होंने राज्यों से उर्वरकों की जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा।
वित्तवर्ष 2022 के पहले चार महीनों में उर्वरक बिक्री में साल-दर-साल 11 प्रतिशत की गिरावट आई थी
मौजूदा समय में, सरकार शहर के कचरे से बनी शहरी खाद के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए सब्सिडी के रूप में 1,500 रुपये प्रति टन एमडीए देती है।
वर्ष 2021 के जून से शुरू होने वाले खरीफ मौसम के दौरान उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा के लिये 12 अप्रैल को बैठक हुई थी। बैठक की अध्यक्षता उर्वरक मंत्री ने की थी।
आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत देश में 40,000 करोड़ रुपये की लागत से नई उर्वरक उत्पादन इकाइयों की स्थापना की जा रही है जिससे आयात पर निर्भरता में भी कमी आयेगी। देश में उर्वरक उत्पादन 4.2 से 4.5 करोड़ टन है और आयात करीब 1.8 करोड़ टन है।
उत्तर प्रदेश में खाद की बढ़ती किल्लत के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य में खाद की दुकानों के औचक निरीक्षण में अब तक 623 विक्रेताओं के लाइसेंस निलम्बित करने के साथ-साथ उनमें से 35 के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर यू.एस. अवस्थी ने कहा कि कच्चे माल और विनिर्मित उर्वरकों की वैश्विक कीमतों में कमी आने के फलस्वरूप हमने अपने डीएपी और सभी कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कीमत में कटौती करने का फैसला लिया है।
बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अक्टूबर में 4.7 प्रतिशत रही। मुख्य रूप से सीमेंट, इस्पात और रिफाइनरी क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से वृद्धि दर कम हुई है।
कृषि आय बढ़ने से उर्वरक की मांग अगले वित्त वर्ष 2017-18 में पांच प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि उर्वरक की मांग पांच प्रतिशत बढ़ेगी।
केंद्र गैर-यूरिया उर्वरक के दाम में 5,000 रुपए प्रति टन तक की कटौती के उसके निर्णय को लागू नहीं करने वाली उर्वरक कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
केंद्र सरकार ने निजी उर्वरक कंपनियों को सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों की तरह गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमत जल्द से जल्द घटाने को कहा है।
संपादक की पसंद