दवा रेगुलेटर राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने जनता से अपील की है कि किसी भी अस्पताल में अगर रेमडेसिवीर (Remdesivir) की उपलब्ता नहीं होती है तो NPPA से शिकायत की जा सकती है।
कंपनी ने अगस्त, 2020 में रेमडैक को लॉन्च किया था, तब इसकी कीमत 2800 रुपये प्रति 100मिग्रा लीओफीलाइज्ड इंजेक्शन थी।
एक अध्ययन के अनुसार रेमडेसिविर दवाई सार्स-कोव-टू के खिलाफ काफी प्रभावी ‘एंटी वायरल’ हो सकती है। सार्स-कोव-टू वायरस के कारण ही कोविड-19 बीमारी होती है।
महाराष्ट्र सरकार ने कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन के दाम शुक्रवार को 2,360 प्रति इंजेक्शन तय कर दिये।
WHO ने कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी जारी की है। WHO ने कहा है कि वर्तमान में कोई सबूत नहीं है कि रेमडेसिवीर संक्रमित रोगियों की सेहत में कोई सुधार करता है।
रोना वायरस के बढ़ते मामलों और गंभीर स्थिति को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोविड-19 की जांच चिकित्सा में रेमडेसिविर को शामिल करने का फैसला किया है।
दिल्ली में रेमडेसिवीर केवल अस्पताल का आधिकारिक लेटर हेड जमा कराने पर ही मिल रही है। दवा की कमी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
मुंबई में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कल रात रेमेडिसवियर की कालाबाजारी में शामिल एक रैकेट का भंडाफोड़ कर 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
कंपनी 20,000 के सेट में 10,000 शीशियों की आपूर्ति हैदराबाद, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में करेगी।
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि एंटीवायरस दवा ‘रेमेडिसीवर’ सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित लंगूरों में वायरस की मात्रा कम करता है और उन्हें फेफडों का रोग नहीं होने देता।
अमेरिकी दवा कंपनी गिलीड साइंसेज ने अपनी वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर को भारतीय बाजार में बेचने की अनुमति के लिए भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को आवेदन दिया है।
यह समझौता सिप्ला लिमिटेड, जुबिलेंट लाइफ साइंसेस, हेटेरो और मायलैन (सभी भारतीय) और फिरोजसंस लेबोरेटरीज (पाकिस्तान) के साथ किया गया है।
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