थोक मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर लगभग 2,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि खुदरा मूल्य 3,300-3,400 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है।
फसल वर्ष 2022-23 के रबी सत्र में सभी रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा एक साल पहले की समान अवधि के 697.98 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 720.68 लाख हेक्टेयर हो गया है।
घरेलू बाजार में मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं की बिक्री की प्रगति पर बृहस्पतिवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह बात कही गई।
बजट पेश होने में महज एक हफ्ते से भी कम समय बचे हैं। सभी सेक्टर्स को इससे बेहतर की उम्मीद हैं, लेकिन उससे पहले किसान को लेकर आई इस रिपोर्ट ने हैरान कर दिया है।
गेहूं की कीमतें थोक बाजार में 31 रुपये के पार निकल गई हैं वहीं आटा 38 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है। कीमतों को थामने के लिए सरकार अब मिलों को सस्ता गेहूं बेचने जा रही है।
गेहूं की कीमतों का असर सीधे आटे की कीमतों पर पड़ रहा है। आटे की कीमत गेहूं से ज्यादा बढ़ी हैं। कारोबारियों के अनुसार आटे का भाव 19 से 20 फीसदी चढ़ चुके हैं। साल भर पहले 30 से 32 रुपये में मिलने वाला आटा 35 से 40 रुपये किलो मिल रहा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम था।
गेहूं की फसल को लेकर एक अच्छी खबर आई है, इससे अगले साल गेहूं का आटा सस्ता होगा। ऐसे में 2023 में रोटी पर महंगाई का बोझ घट सकता है और ब्रेड के दाम भी कम हो सकते हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया।
Essential Commodities Price: पिछले एक साल के दौरान गेहूं, आटा और चावल समेत रसोई के आवश्यक सामानों की औसत खुदरा कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और त्योहारी सीजन के आगमन के साथ बढ़ती कीमतें जारी रह सकती है
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि खासतौर से रोटी पसंद करने वाले पंजाबी समुदाय को भारत के गेहूं बैन की कीमत चुकानी पड़ रही है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि ‘सट्टेबाजी’ के कारण गेहूं की कीमतों में तेजी आई है।
Wheat Flour Exports Ban: सरकार ने बढ़ती कीमतों (Rate) पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं का आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर रोक लगा दी है।
केंद्र सरकार (Central Government) ने बृहस्पतिवार को गेहूं के आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिये इसके निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है।
Wheat import: भारत में गेहूं खरीदने की कोई जरूरत नहीं है। देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है।
काफी दिनों से चल रही चर्चा से अब पर्दा उठ गया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गेहूं आयात (Wheat Import) करने की कोई योजना नहीं है
अब गेहूं के आटे के निर्यातकों को आटा निर्यात करने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी लेनी होगी और यह आवश्यकता 12 जुलाई से प्रभावी होगी।
सरकार उन निर्यातकों को गेहूं निर्यात की अनुमति दे रही है जिनके पास 13 मई से पहले के एल/सी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
UAE Banned Indian Wheat Export: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के संकट के बीच भारत ने 13 मई को अपना गेहूं निर्यात करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में कुछ शर्तों के साथ इन निर्णय को शिथिल किया था। यूएई ने संकट के बीच भारत से गेहूं मांगा था, तो भारत ने उसे यह खेप भेजी थी।
Wheat Crisis: भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 5 देशों से गेहूं के लिए आवेदन मिले हैं। इनके अलावा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जैसे खाड़ी देशों ने भी भारत से गेहूं मांगा है।
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