देश में गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 27.4 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 50 लाख टन अधिक है।
खरीद में प्रमुख योगदान तीन गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से क्रमशः 89.79 लाख टन, 54.26 लाख टन और 49.47 लाख टन की खरीद के साथ हुआ है।
पंजाब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य की मंडियों में फसल की आवक को देखते हुए पंजाब में 1.20 करोड़ टन गेहूं खरीद होने की उम्मीद है।
कुछ राज्यों में गर्मी की लहर के कारण इससे पिछले वर्ष में गेहूं का उत्पादन मामूली रूप से घटकर 10.77 करोड़ टन रह गया था।
भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। यह देश की एक बड़ी आबादी के लिए प्रमुख भोजन है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच ऊंची मुद्रास्फीति और खाद्य सुरक्षा की चिंता से पहले से है।
एफसीआई के अनुसार ताजा गेहूं की फसल की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, और सोमवार को मध्य प्रदेश में लगभग 10,727 टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई है।
बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से एक तरफ जहां मार्च में ही तपाने वाली गर्मी से लोगों को राहत मिली है तो वहीं किसान इससे काफी दुखी हो गए हैं। कई राज्यों में गेहूं, तिलहन और दलहन की फसल को नुकसान पहुंचा है।
जिस समय पाकिस्तान में आटा संकट पैदा हुआ, तो रूस की तरफ से चार लाख टन से भी ज्यादा गेहूं देश की मदद के लिए भेजा गया था। पुतिन के साथ पाकिस्तान की गद्दारी का एक सबूत इन दिनों सोशल मीडिया पर वीडियो के रूप में वायरल हो रहा है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, गेहूं और गेहूं आटे की खुदरा कीमतों को कम करने के कदमों के तहत पिछले चार दौरों में लगभग 23.47 लाख टन गेहूं खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को बेचा गया था।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई गर्मी की लहर की आशंका नहीं है।
पिछले साल रोटी की महंगाई ने आम लोगों को खूब सताया। लेकिन इस साल आसार अभी तक अच्छे दिख रहे हैं। सरकार की एक समिति ने राहत देने वाली खबर दी है।
मौसम के बदलते रुख से गेहूं की फसल को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। पंजाब के किसान दिन-ब-दिन बढ़ रही गर्मी से चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि अगर ऐसे ही गर्मी बढ़ी तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाएगी।
एफसीआई को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपभोक्ताओं को 15 मार्च तक साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए कुल 45 लाख टन गेहूं बेचने को कहा गया है, ताकि गेहूं और गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जा सके।
बिहार में गेहूं की जल्दी बुवाई हुई है और वहां फसल अनाज बनने/परिपक्वता के चरण में है, जिस पर गर्मी का अपेक्षाकृत कम प्रभाव हो सकता है।
उन्होंने कहा कि किसान को तब कदम उठाना है, जब मार्च के मध्य में कहीं तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाए। ऐसे में एहतियात के तौर पर सिंचाई करनी चाहिए।
आईआईडब्ल्यूबीआर ने अपनी सलाह में किसानों को गेहूं की फसल में आवश्यकता के अनुसार हल्की सिंचाई करने को कहा है। परामर्श के अनुसार, तेज़ हवा के मौसम में सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, जिससे उपज में कमी आ सकती है।
सरकार ने फैसला किया है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं खुले बाजार में लायेगा।
चालू वित्त वर्ष में भी, पहले दस महीनों में अनाज की कीमतें सालाना आधार पर काफी बढ़ी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां गेहूं और धान की कीमतें 8-11 फीसदी बढ़ी हैं, वहीं मक्का, ज्वार और बाजरा की कीमतें 27-31 फीसदी बढ़ी हैं।
देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए, सरकार द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, एफसीआई केंद्रीय पूल स्टॉक से कुल 30 लाख टन गेहूं स्टॉक को ओएमएसएस के तहत विभिन्न मार्गों से बाजार में जारी कर रहा है।
Modi Government: देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिये मंत्रियों के समूह द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के अनुपालन में एफसीआई ई-नीलामी के लिये गेहूं की पेशकश कर रहा है।
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