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गैंगस्टर की पत्नी के नाम पर खरीदी संपत्ति भी हो सकती है कुर्क, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक फैसला सुनाते हुए कहा है कि गैंगस्टर द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति भी गैंगस्टर कानून के तहत कुर्क की जा सकती है।

Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Published : Mar 05, 2024 8:37 IST, Updated : Mar 05, 2024 9:42 IST
इलाहबाद हाई कोर्ट।- India TV Hindi
Image Source : ANI इलाहबाद हाई कोर्ट।

गैंगस्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि एक गैंगस्टर द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति भी गैंगस्टर कानून के तहत कुर्क की जा सकती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आपराधिक अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई का अभियान और तेज हो सकता है। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, अदालत ने आजमगढ़ के कथित गैंगस्टर राजेन्द्र यादव की पत्नी मीना यादव द्वारा दायर एक आपराधिक अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।  मीना यादव ने विशेष न्यायाधीश के चार मई, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी। विशेष न्यायाधीश ने आजमगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कुर्की के आदेश को सही करार दिया था। न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने अपील खारिज करते हुए कहा कि इस अदालत का विचार है कि जो संपत्ति कुर्क की गई, वह गैंगस्टर राजेन्द्र यादव ने अपराध से अर्जित आय से अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी थी।

खुली जेल के बारे में भी निर्देश

एक अन्य मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह राजस्थान, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में अपनाई जा रही 'खुली जेल' की अवधारणा का अध्ययन करके आगामी 29 मार्च तक उसके सामने एक योजना या प्रस्ताव पेश करे। कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य को उन कैदियों के आश्रितों के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के बारे में अदालत को बताने के भी निर्देश दिए हैं जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे और उनके जेल में होने की वजह से परिवार के लोग खासतौर पर उनके बच्चे गंभीर वित्तीय कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। ये आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बीआरसिंह की पीठ ने 28 फरवरी को एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसे पीठ ने एक कैदी की शिकायत के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया था। (इनपुट: भाषा)

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