Thursday, December 12, 2024
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VIDEO: चिता पर 9 घंटे पड़ा रहा मां का शव, 8 बार श्मशान घाट से पंडित भी लौटे, लड़ती रहीं बेटियां

मथुरा में एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद श्मशान घाट पर ही उसकी तीन बेटियां आपस में लड़ने लगीं। इस दौरा बुजुर्ग का शव चिता पर 9 घंटे तक पड़ा रहा।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jan 15, 2024 23:02 IST, Updated : Jan 15, 2024 23:02 IST
चिता पर बुजुर्ग का शव घंटों पड़ा रहा। - India TV Hindi
चिता पर बुजुर्ग का शव घंटों पड़ा रहा।

मथुरा: मसानी स्थित मोक्ष धाम पर सोमवार को एक मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया। यहां एक 85 वर्षीय महिला पुष्पा की वृद्धावस्था के चलते मौत हो गई, लेकिन उसकी तीनों बेटियों के बीच श्मशान घाट पर ही जमीनी हक को लेकर लड़ाई होती रही और महिला का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। वहीं, श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने आया पंडित भी आठ बार श्मशान घाट से लौट गया। 9 घंटे तक शमशान घाट पर खूब ड्रामा चलता रहा। श्मशान घाट पर काम करने वाले लोग भी उनके ड्रामे को देखकर परेशान हो गए। 

बड़ी पुत्री के वहां रह रही थी मां

बता दें कि 85 वर्षीय मृतिका पुष्पा का कोई पुत्र नहीं है। उसकी तीन बेटियां- मिथिलेश, सुनीता और शशि हैं। बुजुर्ग महिला बीते कुछ दिनों से बड़ी पुत्री मिथिलेश के घर थाना यमुनापार के गांव लोहवन में रहती थी। आरोप है कि मिथिलेश ने अपनी मां को बातों में लेकर उसका करीब डेढ़ बीघे खेत बेच दिया। सोमवार सुबह करीब जब 6:00 बजे वृद्धा पुष्पा की मौत हो गई, तो उसको मिथिलेश के परिजन मसानी स्थित मोक्ष धाम अंतिम संस्कार के लिए लेकर पहुंचे। जैसे ही जानकारी उसकी अन्य दो पुत्री सुनीता और शशि को लगी, तो वह भी श्मशान घाट पहुंच गईं और उन्होंने अपनी माता का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। 

संपत्ति नाम करने को लेकर लड़ाई 

बहनें मिथलेश से मां की संपत्ति का बंटवारा करने के लिए लड़ने झगड़ने लग गईं। दोनों बहनें मांग करने लगीं कि जो बची हुई संपत्ति है उसे उनके नाम किया जाए, तभी हम अंतिम संस्कार होने देंगे, लेकिन मिथिलेश इसके लिए राजी नहीं हुई और यह ड्रामा काफी देर तक चलता रहा। श्मशान घाट पर कार्य करने वाले लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद थाना कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन वह भी काफी देर तक उनको समझाने में असफल रही।

शाम 6 बजे अंतिम संस्कार हुआ

इसके बाद शाम करीब 6:00 बजे तीनों बहनों के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिसमें मृतिका की बची हुई संपत्ति को दो छोटी बेटी शशि और सुनीता के नाम किया जाएगा और इतना ड्रामा होने के बाद आखिर में महिला का अंतिम संस्कार हो सका। बहरहाल, बुजुर्ग का शव करीब 9 घंटे तक अपने अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करता रहा। श्मशान घाट पर मौजूद लोग भी ड्रामा करने वाले परिजनों को कोसते रहें और यह घंटों का ड्रामा आखिरकार शाम 6:00 बजे समाप्त हो गया। 

- एम. एस. शर्मा की रिपोर्ट

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