Sunday, April 28, 2024
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ग्रेटर नोएडा के कुछ इलाकों मे फैली सफेद ऊन की चादर, लोगों की बढ़ीं तकलीफें, GNIDA से की शिकायत

ग्रेटर नोएडा के कुछ इलाकों में लोगों की परेशानी बढ़ गई है। घरों में-सड़कों पर, स्कूलों में चारों तरफ सफेद ऊन की चादर नजर आ रही है। लोगों को सांस संबंधी दिक्कतें और आंखों में जलन की शिकायत बढ़ रही है।

Kajal Kumari Edited By: Kajal Kumari
Published on: May 01, 2023 16:48 IST
 semal white wool in greater noida- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ग्रेटर नोएडा में सफेद ऊन ने बढ़ाई परेशानी

नोएडा: ग्रेटर नोएडा के निवासियों की परेशानी बढ़ गई है। कुछ इलाकों में लोगों के घरों में, सड़कों पर, स्कूलों में चारों तरफ सफेद ऊन की चादर फैल जाने से लोगों को सांस लेने में शिकायत और आंखों में जलन की समस्या आ रही है। इसे लेकर लोगों ने GNIDA से शिकायत की है और इस मुद्दे को हल करने के लिए एक विशेष सफाई अभियान चलाने का आग्रह किया है। लोगों ने सेमल के पेड़ (कपास के पेड़) से कपास जैसी सफेद ऊन सड़कों पर फैलने की शिकायत की है और कहा है कि इस सफेद ऊन की एक बड़ी मात्रा आवासीय सेक्टर P1, 2, 31 और 37 की कुछ बहुमंजिली अपार्टमेंट और लगभग 4 स्कूलों में तेज हवाओं के साथ उड़कर फैल गई है।

लोगों ने कहा कि इससे न केवल स्वच्छता का मुद्दा पैदा हुआ है बल्कि सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ फेफड़ों और आंखों में संक्रमण भी हुआ है। चूंकि ये पेड़ बहुत समय पहले लगाए गए थे और अब ये बड़े हो गए हैं और जनवरी से मई तक इनमें फूल खिलते हैं और फूल के सूखने के बाद उसमें से जो सफेद रूई निकलती है वो उड़कर इधर-उधर फैल जाती है। 

इस क्षेत्र के निवासी सतेंद्र नागर ने कहा "मैं सेमल के पेड़ों से आच्छादित क्षेत्रों के स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित एक गंभीर समस्या को हल करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्वास्थ्य, बागवानी और नागरिक टीमों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। अप्रैल-मई के महीने में इन औषधीय पेड़ों के फलों से बड़ी मात्रा में कपास जैसी सफेद रूई निकलती है। नागर ने कहा, यह कपास पूरे सेक्टर में हवा के साथ फैलती है और सड़कों, पार्कों, घरों आदि पर भारी मात्रा में जमा हो रही है।"

नागर ने कहा कि कुछ अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सिल्वर सिटी-2, व्हाइट हाउस, एनएचपीसी/ज्योति किरण सोसाइटी, विधि विहार सोसाइटी, गेल सोसाइटी, सेक्टर-37 (संसार वर्ल्ड स्कूल साइड की ग्रीन बेल्ट), बिरोडी विलेज, गोदरेज गोल्फ लिंक, ग्रीनव्यू कोऑपरेटिव शामिल हैं। हाउसिंग सोसाइटी, होप हॉस्पिटैलिटी, कालीबाड़ी मंदिर और कौशल्या वर्ल्ड स्कूल आदि जगहों पर भी यह फैल रही है। संपर्क करने पर, GNIDA के बागवानी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने एक-दूसरे पर दोषारोपण किया।

मुकेश कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक उद्यान, जीएनआईडीए ने कहा कि सड़कों की सफाई जन स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है, जन स्वास्थ्य विभाग के मनोज चौधरी ने सेमल के पेड़ों द्वारा उत्पन्न स्वच्छता के मुद्दे के संबंध में उनके द्वारा सड़कों की सफाई को स्वीकार करते हुए बागवानी की ओर इशारा किया और कहा कि ये विभाग की जिम्मेदारी है। हालांकि उन्होंने सोमवार तक सफाई कराने का आश्वासन दिया है।

 निवासियों ने शिकायत की है कि हर साल इन बड़े-बड़े पेड़ों पर जनवरी-फरवरी के महीने में सुंदर औषधीय लाल फूल खिलते हैं, अप्रैल-मई तक वे अपने फलों से बड़ी मात्रा में रूई जैसा पदार्थ उत्पन्न करते हैं। यह, जब हवा के कारण बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तो स्वच्छता और सांस लेने की समस्या पैदा करता है।

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