Saturday, December 06, 2025
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संभल शाही जामा मस्जिद की होगी रंगाई-पुताई? इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज ASI पेश करेगी रिपोर्ट

संभल शाही जामा मस्जिद को लेकर ASI की रिपोर्ट में यह जानकारी दी जाएगी कि परिसर के भीतर पुताई और मरम्मत की जरूरत है या नहीं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Feb 28, 2025 10:16 am IST, Updated : Feb 28, 2025 10:26 am IST
Jama Masjid, Sambhal- India TV Hindi
Image Source : PTI जामा मस्जिद, संभल

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को तीन अधिकारियों की टीम गठित कर संभल स्थित जामा मस्जिद का तत्काल निरीक्षण करने और शुक्रवार तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। आज कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी जिसके आधार पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। 

पुताई और मरम्मत की जरूरत है या नहीं, आज पेश होगी रिपोर्ट

अदालत ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में यह जानकारी दी जाएगी कि क्या परिसर के भीतर पुताई और मरम्मत की जरूरत है या नहीं। रमजान शुरू होने से पूर्व किए जाने वाले कार्य के लिए एएसआई एक वीडियोग्राफी भी कराएगा।’’ न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने जामा मस्जिद की पुताई और सफाई की अनुमति मांगने वाली एक याचिका पर यह आदेश पारित किया और सुनवाई की अगली तिथि 28 फरवरी तय की। 

वकील हरिशंकर जैन ने किया विरोध

बृहस्पतिवार को जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई, प्रतिवादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि इस याचिका की आड़ में मस्जिद कमेटी हिंदू मंदिर के प्रतीक और चिह्नों को बिगाड़ देगी। वहीं दूसरी ओर, एएसआई को इस स्थल के रखरखाव की अनुमति है। 

अदालत के निर्देश से पूर्व, एएसआई के वकील मनोज कुमार सिंह ने बताया कि चूंकि उनके अधिकारियों को मस्जिद कमेटी से मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं है, वह यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि पुताई की कोई जरूरत है या नहीं। यदि अदालत आदेश करे और अधिकारियों को अनुमति हो तो वे स्थल का निरीक्षण कर सकते हैं। 

संरक्षित है और एएसआई के नियंत्रण में है मस्जिद

संबंधित पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा, “इस बात में कोई विवाद नहीं है कि यह स्थल संरक्षित है और एएसआई के नियंत्रण में है। जामा मस्जिद के मुत्तवलियों और सरकार के सचिव के बीच एक समझौता हुआ था जो दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी है।” अदालत ने कहा, “जहां तक मरम्मत का संबंध है, समझौते की शर्तें स्पष्ट रूप से यह व्यवस्था देती हैं कि समय समय पर किस तरह की मरम्मत की जाएगी, यह पुरातत्व विभाग के विवेकाधिकार पर निर्भर है।” 

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