Friday, April 26, 2024
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Lockdown: Internet की समस्या के चलते पेड़ पर चढ़ पढ़ा रहे शिक्षक

लॉकडाउन के दौरान अपने गांव चले गए सुब्रत पति ने पीटीआई भाषा से कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं लेना मुसीबत बन गया था। वह कोलकाता के दो शिक्षण संस्थानों में पढ़ाते हैं।

Bhasha Written by: Bhasha
Updated on: April 20, 2020 21:20 IST
Internet Problem- India TV Hindi
Image Source : PTI Internet की बाधा दूर करने पेड़ पर बैठ पढ़ा रहे शिक्षक

कोलकाता. कहावत है कि अच्छे दिनों की तुलना में बुरे दिन आपको अधिक सीख देकर जाते हैं। लॉकडाउन के कारण इंटरनेट की समस्या सामने आने की तमाम खबरों के बीच एक शिक्षक ने इसका अनूठा निदान निकाल लिया और वह अपने गांव में नीम के पेड़ पर बैठकर अपने छात्रों को ऑनलाइन इतिहास पढ़ा रहे हैं। सुब्रत पति (35) इतिहास के शिक्षक हैं और कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव से छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान अपने गांव चले गए सुब्रत पति ने पीटीआई भाषा से कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं लेना मुसीबत बन गया था। वह कोलकाता के दो शिक्षण संस्थानों में पढ़ाते हैं। इन दिनों वह पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में अपने पैतृक गांव अहंदा में हैं। पढ़ाने के दौरान कभी उनका मोबाइल फोन रूक जाता था तो कभी काम करने लगता।

इसी परेशानी के बीच उनके मन में आया कि पेड़ पर चढ़कर देखते हैं कि क्या स्थिति कुछ सुधरती है। उनका यह प्रयोग काम कर गया। वह अब हर सुबह अपने घर के पास नीम के पेड़ पर चढ़ जाते हैं। पेड़ की शाखाओं के बीच ही बांस का मचान बनाकर उन्होंने बैठने की व्यवस्था कर ली है। पेड़ पर उनके मोबाइल फोन में लगातार सिग्नल मिलते रहते हैं जिससे वह अपने छात्रों को पढ़ाते हैं।

जब उन्हें दो या तीन कक्षाएं लगातार पढ़ानी होती है तो वह भोजन और पानी साथ लेकर जाते हैं। मौसम के कारण भले ही परेशानी होती हो लेकिन वह उससे पार पाने का प्रयास करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि उनके छात्रों को नुकसान नहीं हो। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि उनकी कक्षाओं में आम तौर पर छात्रों की उपस्थिति अधिक होती है।

उन्होंने कहा, "छात्र मेरा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। वे हमेशा बहुत सहयोग करते रहे हैं। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वे मेरे पेपर में अच्छा अंक लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।" उनके एक छात्र बुद्धदेव मैती ने कहा, ‘‘वह अपने छात्रों के लिए जो कर रहे हैं वह एक मिसाल है। मैं उनकी कोई कक्षा नहीं छोड़ता, ना ही मेरे मित्र। वास्तव में वे हमारे प्रश्न का उत्तर देने के लिए भी समय निकालते हैं। आम तौर पर उनकी कक्षाओं में 90 प्रतिशत उपस्थिति रहती है।’’ 

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