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गुरुवार को दिखेगा 2023 का आखिरी सुपरमून, जानें इसे क्यों कहा जाता है 'हार्वेस्ट मून'

किसान पंचांग की भविष्यवाणियों के अनुसार, इस वर्ष का हार्वेस्ट सुपरमून शुक्रवार को सुबह 6 बजे सबसे अधिक चमक के साथ दिखाई देगा।

Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: September 28, 2023 8:18 IST
सुपरमून।- India TV Hindi
Image Source : AP सुपरमून।

2023 का अंतिम सुपरमून, जिसे हार्वेस्ट मून के नाम से भी जाना जाता है, गुरुवार को सूर्यास्त के बाद दिखाई देगा। सुपरमून तब घटित होता है जब चंद्रमा अपनी अण्डाकार कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंच जाता है, जिससे बढ़े हुए आकार और बढ़ी हुई चमक का एक भ्रम पैदा होता है। किसान पंचांग की भविष्यवाणियों के अनुसार, इस वर्ष का हार्वेस्ट सुपरमून शुक्रवार को सुबह 6 बजे सबसे अधिक चमक के साथ दिखाई देगा। 

क्यों होता है सुपरमून?

सुपरमून की घटना तब होती है जब चंद्रमा अपनी अण्डाकार कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंच जाता है। इससे चांद बड़े आकार और ज्यादा चमकदार लगता है। गुरुवार को दिखाई देने वाला सुपरमून साल का चौथा सुपरमून होगा। इस सभी के अलग-अलग नाम हैं। जुलाई का बक मून, अगस्त का स्टर्जन मून, अगस्त का ही ब्लू मून और सितंबर का हार्वेस्ट मून। नासा के अनुसार, सुपर ब्लू मून की अगली घटना अगले 14 वर्षों तक अनुमानित नहीं है। लोगों को फिर से रात के आकाश की शोभा बढ़ाने वाली इस खगोलीय घटना को देखने के लिए जनवरी और मार्च 2037 तक इंतजार करना होगा।

क्यों कहते हैं हार्वेस्ट मून?
गुरुवार को होने वाली सुपरमून की घटना को हार्वेस्ट मून या फसल चंद्रमा के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये 23 सितंबर के दिन होने वाली शरद ऋतु विषुव के पास है। इसे कई बार मक्का चंद्रमा भी कहते हैं। मक्का गर्मियों की फसल के समापन का प्रतीक है। बता दें कि हार्वेस्ट मून आम तौर पर सितंबर में होती है लेकिन हर तीन साल में ये अक्टूबर महीने में देखने को मिलता है। हार्वेस्ट मून नाम की उत्पत्ति पुराने दिनों की कृषि पद्धतियों में हुई है। उस युग में खेतों से फसलों की समय पर कटाई के लिए चांदनी की उपस्थिति बहुत महत्व रखती थी। फसल को तेजी से पूरा करने और बारिश के कारण फसलों को सड़ने से बचाने के लिए चांदनी का होना एक महत्वपूर्ण कारक था।

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