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सऊदी अरब और रूस में चल रहा तेल का खेल, अरब ने कम ​कर दिए दाम, भारत को होगा बड़ा फायदा

सऊदी अरब के साथ तेल के खेल में अब रूस, अमेरिका, मैक्सिको, ब्राजील जैसे बड़े देश भी कूद गए हैं। खासतौर पर रूस सस्ते दाम पर तेल आफर कर रहा है। इस कारण भारत, चीन जैसे देश अब सऊदी अरब की बजाय रूस से तेल ज्यादा खरीद रहे हैं। इस कारण अरब ने तेल के दामों में बड़ी कटौती की है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Jan 10, 2024 18:35 IST, Updated : Jan 10, 2024 18:35 IST
सऊदी अरब और रूस में चल रहा तेल का खेल- India TV Hindi
Image Source : FILE सऊदी अरब और रूस में चल रहा तेल का खेल

Saudi Arab Oil Price News: सऊदी अरब के पास दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको है। सऊदी अरब के दो सबसे बड़े तेल खरीदार देश हैं भारत और चीन। हाल के समय में यूक्रेन से जंग के बीच गिरती इकोनॉमी के चलते रूस ने क्रूड आइल के  दाम सस्ते कर दिए। इससे सऊदी अरब पर भारत और चीन की निर्भरता कम हो गई और रूस से धड़ल्ले से सस्ता तेल खरीदना शुरू कर दिया। अब सऊदी अरब भी रूस से 'तेल का खेल' खेलने उतर गया है। सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमत पिछले 27 महीनों में सबसे कम कर दी है। सऊदी की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको ने अपने फ्लैगशिप अरब लाइट कच्चे तेल की कीमतें एशिया के लिए घटा दी हैं। इससे भारत को बड़ा फायदा मिलने वाला है।

सऊदी अरब के कच्चे तेल की कीमतें घटाने के इस कदम से भारत समेत एशियाई देशों को अब सस्ता तेल मिलेगा और कच्चे तेल के निर्यात की लागत में कमी आएगी। अरामको ने फरवरी के लिए अपने कच्चे तेल की शिपमेंट में 2 डॉलर प्रति बैरल की कमी की है। इससे पहले दिसंबर के महीने में जनवरी के शिपमेंट के लिए अरामको ने 1.5 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की घोषणा की थी। दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब ने एशिया समेत उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पश्चिम यूरोपीय देशों के लिए भी अपने तेल की कीमत कम कर दी है।

अचानक से कीमतें क्यों कम करने लगा सऊदी अरब?

सऊदी अरब तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस देशों के संग मिलकर लगातार कच्चे तेल के प्रोडक्शन में कटौती कर रहा था। जिससे कि तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ें। लेकिन बहुत प्रयासों पर भी तेल के दाम नहीं बढ़े। अमेरिका ने कई बार सऊदी अरब से तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने की बात कही, पर जब सऊदी अरब ने ऐसा नहीं किया तो अमेरिका ने खुद अपना तेल उत्पादन भारी पैमाने पर बढ़ा दिया। यही नहीं, अमेरिका के साथ ही गैर ओपेक देश जैसे ब्राजील और मैक्सिको ने भी अपना तेल प्रोडक्शन बढ़ा दिया। इससे तेल के बाजार में सऊदी अरब की नहीं चल पाई और बाजार में तेल की उपलब्धता पर्याप्त हो गई। लिहाजा तेल की कीमतें घटने लगीं। 

सऊदी अरब के लिए एशिया एक बड़ा बाजार है। भारत और चीन जैसे देश जो कि सबसे बड़े तेल उपभोक्ता हैं सऊदी अरब के। यदि वे भी अन्य देशों से बड़े पैमाने पर तुलनात्मक रूप से सस्ता तेल खरीदने लग जाएंगे तो सऊदी अरब को कौन पूछेगा। इस कारण मजबूरन, सऊदी को तेल की कीमतों में कमी करनी पड़ रही है। 

रूस भी है एक बड़ा फैक्टर

खास बात यह है कि जब से यूक्रेन से जंग शुरू हुई और पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, तभी से रूस ने कच्चे तेल की कीमतें बेहद कम भारत और चीन जैसे देशों को आफर कीं। जंग से पहले जो भारत रूस से 1 फीसदी से भी कम तेल खरीदता था, वो अब रूस से धड़ल्ले से तेल खरीद रहा है। अब तो रूस सऊदी अरब को पछाड़कर भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। यही कारण है कि अब मजबूरी में सऊदी अरब तेल की कीमतों में कमी कर रहा है, जिसका फायदा निश्चित ही भारत को मिलेगा। 

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