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अदालत के आदेश पर एक झटके में हटाए गए इस देश के प्रधानमंत्री, मामला जानकर रह जाएंगे हैरान

थाईलैंड की अदालत ने अपने एक बड़े फैसले से वहां की राजनीति में सनसनी पैदा कर दी है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को अपने नैतिक मूल्यों का पालन नहीं करने पर अदालत ने पद से हटा दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 14, 2024 15:40 IST, Updated : Aug 14, 2024 15:40 IST
थाईलैंड के अपदस्थ प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन। - India TV Hindi
Image Source : AP थाईलैंड के अपदस्थ प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन।

बैंकॉकः थाईलैंडल में अदालत के आदेश का पालन देखना हो तो इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता कि एक ही झटके में प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया। अदालत ने नैतिक मूल्यों का पालन न करने के आरोप में आज प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से हटा दिया। इससे पूरे देश में हलचल मच गई। बता दें कि इससे एक सप्ताह पहले अदालत ने मुख्य विपक्षी दल को भंग कर दिया था। अदालत के ताबड़तोड़ इन आदेशों ने थाई राजनीति में भूचाल ला दिया है। 

संवैधानिक न्यायालय ने श्रेथा को एक कैबिनेट सदस्य की नियुक्ति को लेकर दोषी ठहराया, जिसे अदालत के एक अधिकारी को रिश्वत देने के मामले में जेल की सजा हुई थी। अदालत ने श्रेथा के खिलाफ 5:4 के बहुमत से फैसला दिया। संसद जब तक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करती तब तक कैबिनेट कार्यवाहक आधार पर बनी रहेगी। संसद को इस पद पर नियुक्ति के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है। श्रेथा ने अप्रैल में कैबिनेट फेरबदल में पिचिट चुएनबान को प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री के रूप में नियुक्त किया था।

यह था मामला

पिचिट को 2008 में अदालत की अवमानना ​​के मामले में तब छह महीने की जेल हुई थी जब उन्होंने कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा से जुड़े एक मामले में एक न्यायाधीश को 20 लाख बाहत (55 हजार अमेरिकी डॉलर) की रिश्वत देने की कोशिश की थी। इस घटना पर जब विवाद फिर से शुरू हुआ तो नियुक्ति के कुछ सप्ताह बाद पिचिट ने पद से इस्तीफा दे दिया। अदालत ने कहा कि हालांकि पिचिट पहले ही जेल की सजा काट चुके हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक उनका व्यवहार बेईमानी भरा है।

इसने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री के रूप में श्रेथा के पास अपने कैबिनेट सहकर्मियों की योग्यता की पड़ताल करने की जिम्मेदारी थी। अदालत ने कहा कि पिचिट के अतीत के बारे में श्रेथा जानते थे लेकिन फिर भी उन्हें कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया और इस तरह उन्होंने नैतिकता संहिता का उल्लंघन किया है। (एपी) 

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