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UN में पाकिस्तान-चीन को लगा झटका, BLA-मजीद ब्रिगेड पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को US, UK, फ्रांस ने ठुकराया

पाकिस्तान और चीन ने बीएलए और मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए संयुक्त प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने रोक दिया। पाकिस्तान के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Sep 19, 2025 12:58 pm IST, Updated : Sep 19, 2025 12:58 pm IST
The Balochistan Liberation Army was designated as an SDGT in 2019 following several terrorist attack- India TV Hindi
Image Source : AP/FILE The Balochistan Liberation Army was designated as an SDGT in 2019 following several terrorist attacks.

संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान और चीन को संयुक्त राष्ट्र में बड़ा झटका लगा है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और उसके सुसाइड विंग मजीद ब्रिगेड को संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध व्यवस्था के तहत सूचीबद्ध करने के पाकिस्तान और चीन के संयुक्त प्रयास पर तकनीकी रोक लगा दी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिमी शक्तियों ने इन संगठनों के अल कायदा और आईएसआईएल से संबंध साबित करने वाले पर्याप्त सबूतों के अभाव का हवाला दिया है।

अमेरिका का बड़ा सियासी संदेश

अमेरिका के इस फैसले को एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में वाशिंगटन ने बीएलए और मजीद ब्रिगेड को अपनी राष्ट्रीय सूची में विदेशी आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित किया था। उस समय, इस कदम को एक संतुलन वाले कदम के रूप में देखा गया था, क्योंकि अमेरिका ने पहलगाम हमले को अंजाम देने के आरोपी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा समूह करार दिया था।

पाकिस्तान और चीन को लगा झटका

वाशिंगटन की ओर से पहले घोषित किए जाने से उत्साहित होकर, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में बीएलए और मजीद ब्रिगेड को सूचीबद्ध करने के लिए चीन के साथ मिलकर तुरंत प्रयास किया। इस कदम से पाकिस्तान के बार-बार लगाए जा रहे उन आरोपों को और बल मिलता कि बीएलए को भारत का समर्थन प्राप्त है। लेकिन, अमेरिका का यह ताजा रुख इस्लामाबाद और बीजिंग दोनों के लिए एक झटका साबित हुआ है।

चीन को दिया उसी की भाषा में जवाब

गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका ने अब उसी 'तकनीकी रोक' का रास्ता अपनाया है जिसका इस्तेमाल चीन अक्सर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खिलाफ भारत-अमेरिका की कार्रवाई को रोकने के लिए करता रहा है। साजिद मीर, शाहिद महमूद और तल्हा सईद सहित लश्कर-ए-तैयबा के कई सदस्यों को अभी भी चीनी रोक के कारण 1267 व्यवस्था के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। एक अन्य मामला अब्दुल रऊफ असगर का था, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर में मारा गया था। 

BLA के बारे में जानें

बलूचिस्तान के लोगों ने खुद को मजबूत करने के लिए 2000 में अपनी सशस्त्र सेना तैयार की। इसके 6000 हजार से ज्यादा हाईटेक हथियारों से लैस अपने लड़ाके हैं। इसे बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) कहते हैं। यह बलूचिस्तान का सबसे बड़ा आर्म्ड ग्रुप कहा जाता है। पाकिस्तान सरकार ने 2006 से ही इस पर बैन लगा रखा है। बलूचिस्तान को लोग इस बात से खफा हैं कि उनके खनिजों का दोहन कर पाकिस्तान अपनी जेब भर रहा है और चीन भी मालामाल हो रहा है, जबकि इन संपदाओं पर जिन बलूचों का हक है, वह लगातार गरीब होते जा रहे हैं। ऐसे में बलूचिस्तान की दुश्मनी पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ है।

बलूचिस्तान पर कब्जे की कहानी

ब्रिटिश शासन के दौरान कई भारतीय उपमहाद्वीप में कुछ ऐसा रियासतें थीं जहां ब्रिटिश सम्राज्य का सीधा शासन नहीं था। आजादी के समय इन रियासतों को 3 ऑप्शन दिए गए थे। भारत के साथ विलय, पाकिस्तान के साथ विलय या फिर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहचान। इन्हीं रियासतों में से बलूचिस्तान भी था जिसमें कलात, खारान, लॉस बुरा और मकरान की रियासतें शामिल थीं। बलूचिस्तान ने इस दौरान स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई। इसके बाद साल 1947 में मुस्लिम लीग और कलात के बीच एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया जिसमें माना गया था कि कलात की अपनी एक अलग पहचान होगी। मुस्लिम लीग ने कलात की स्वतंत्रता का सम्मान करने की बात कही थी। तब  बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान भी हो गया। हालांकि, साल 1948 में पाकिस्तानी सेना ने अभियान चलाकर कलात समेत पूरे बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया।

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