Saturday, April 27, 2024
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स्पेन के पास समंदर में मिला करोड़ों का 'अनमोल खजाना', वैज्ञानिकों में छाई खुशी

अटलांटिक महासागर में अफ्रीकी तट के पास स्थित स्‍पेन के केनरी द्वीप समूह के समुद्री तट पर वैज्ञानिकों को 4.46 करोड़ रुपए के मूल्य 'तैरता सोना' प्राप्त हुआ है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: July 05, 2023 16:10 IST
स्पेन के पास समंदर में मिला करोड़ों का 'अनमोल खजाना', वैज्ञानिकों में छाई खुशी - India TV Hindi
Image Source : TWITTER FILE स्पेन के पास समंदर में मिला करोड़ों का 'अनमोल खजाना', वैज्ञानिकों में छाई खुशी

Madrid: स्पेन के पास अटलांटिक महासागर में समुद्री तट पर वैज्ञानिकों को ऐसा 'खजाना' मिला है, जो करोड़ों के मूल्य का है। खास बात यह है कि यह 'अनमोल सोना' बड़ी मुश्किल से मिलता है। जानकारी के अनुसार अटलांटिक महासागर में अफ्रीकी तट के पास स्थित स्‍पेन के केनरी द्वीप समूह के समुद्री तट पर वैज्ञानिकों को 4.46 करोड़  रुपए के मूल्य 'तैरता सोना' प्राप्त हुआ है। 

दरअसल, एक विशाल व्हेल मछली का शव कैनरी द्वीप पर बहकर आ गया था। जब वैज्ञानिकों ने इसे देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि उसकी आंत के अंदर 'अनमोल खजाना' छिपा हो सकता है। उन्‍हें आंतों के अंदर व्‍हेल की उल्‍टी मिली है, जिसे 'तैरता सोना' कहा जाता है। यह काफी दुर्लभ होता है। इसका उपयोग महंगे और खास परफ्यूम बनाने में किया जाता है। बताया जाता है कि बताया जाता है कि 100 स्‍पर्म व्‍हेल में से केवल 1 ही में यह तैरता हुआ सोना पाया जाता है। 

ब्रांडेड परफ्यूम बनाने में किया जाता है उपयोग

वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्र के अंदर तेज लहरों और ज्‍वार की वजह से उन्‍हें पोस्‍टमार्टम करने में काफी समस्‍या आई। यूनिवर्सिटी ऑफ लास पाल्‍मास के एनिमल हेल्‍थ और फूड सिक्‍यॉरिटी इंस्‍टीट्यूट के प्रमुख एंटोनियो फर्नांडिज रोड्रिगुएज ने बताया कि 'जब पोस्टमॉर्टम के दौरान जांच की तो एक बेहद कठोर चीज फंसी दिखी। इसका वजन 9.5 किलोग्राम था। यह असल में व्‍हेल की उल्‍टी थी।' यह काफी दुर्लभ होती है, इसलिए इसे तैरता सोना कहा जाता है। इसके दुर्लभ होने की वजह से अक्‍सर इसे तैरता हुआ सोना कहा जाता है। इसका उपयोग महंगे और ब्रांडेड परफ्यूम बनाने में किया जाता है। 

19वीं सदी में हुआ था इस रहस्य का खुलासा

व्‍हेल की उल्‍टी के रहस्‍य का खुलासा 19वीं सदी में हुआ था। विशेषज्ञों के मुताबिक व्‍हेल मछली बड़े पैमाने पर स्क्विड और कटलफिश को खाती है और इनमें से ज्‍यादातर को वह पचा नहीं पाती है। इसके बाद व्‍हेल मछली उल्‍टी कर देती है। हालांकि इसके बाद भी कुछ ह‍िस्‍सा व्‍हेल के अंदर ही वर्षों तक बचा रह जाता है। इसी से Ambergris का निर्माण होता है। यह ठोस, मोम जैसा ज्‍वलनशील तत्‍व होता है जो हल्‍के ग्रे या काले रंग का होता है। यह कई बार निकल भी जाता है और इसे समुद्र में तैरते हुए पाया जाता है।

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