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भारत पर हाई टैरिफ के मामले में ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट में देनी पड़ी सफाई, 251 पेज के जवाब में बताया-क्यों लगाया शुल्क

भारत पर राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का मामला अब अमेरिका की शीर्ष अदालत तक पहुंच गया है। ट्रंप को यह सफाई पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है कि उन्होंने भारत जैसे देश पर इतना अधिक टैरिफ क्यों लगाया?

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 05, 2025 09:16 am IST, Updated : Sep 05, 2025 09:16 am IST
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन: भारत पर 50 फीसदी का हाई टैरिफ लगाने का मामला अब अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में अपने देश की सबसे बड़ी अदालत में सफाई पेश की है। ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिका के उच्चतम न्यायालय को 251 पेज में तैयार किए गए जवाब में बताया है कि भारत पर इतना हाई टैरिफ क्यों लगाया। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जिससे कुल प्रभावी शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है। यह शुल्क 27 अगस्त से प्रभाव में आ गया है।

ट्रंप ने बताया भारत पर अधिक शुल्क लगाने का कारण

ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट में भारत पर अधिक शुल्क लगाने की वजह बताई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसने यूक्रेन-रूस युद्ध और उससे उत्पन्न राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए भारत पर 50% तक का आयात शुल्क लगाया है। यह कदम रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद को लेकर भारत की भूमिका के जवाब में उठाया गया है। ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 251 पन्नों की अपील में कहा कि यह कार्रवाई IEEPA (अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम) के तहत की गई है, जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकालीन परिस्थितियों में विशेष आर्थिक कदम उठाने की अनुमति देता है।

यूक्रेन युद्ध से निपटने के लिए उठाया कदम

ट्रंप प्रशासन की ओर से पेश की गई अपील में कहा गया “राष्ट्रपति ने रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न आपातकालीन स्थिति से निपटने और शांति स्थापित करने के उद्देश्य से भारत के खिलाफ यह शुल्क लगाया है। अपील में यह भी तर्क दिया गया कि ये शुल्क अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए जरूरी हैं। शुल्क न लगने की स्थिति में अमेरिका को व्यापारिक प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है, जिससे देश आर्थिक तबाही की ओर बढ़ सकता है।

शुल्क की मदद से यूरोपीय संघ से समझौता

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इसी शुल्क की मदद से अमेरिका ने 6 प्रमुख व्यापारिक साझेदारों और 27 देशों वाले यूरोपीय संघ के साथ रूपरेखा समझौते किए हैं, जिनमें लगभग 2000 अरब डॉलर के व्यापार और निवेश पर सहमति बनी है। बता दें कि पिछले सप्ताह वाशिंगटन की एक अपीली अदालत ने 7-4 के बहुमत से राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए कई व्यापक शुल्कों को अवैध ठहरा दिया था। हालांकि अदालत ने प्रशासन को 14 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की अनुमति दी थी। अब ट्रंप प्रशासन ने उसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। (भाषा)

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